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गुरुवार, 17 सितंबर 2020

जिंदगी

अहले सुबह एक झलक जिंदगी को देखा ,

वो अनजाने में यूं ही गुनगुना रही थी,

आने जाने वालों को बड़े गौर से देख कर ,

वह आंख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी,

लगा कि वह मुझसे भी कुछ पूछ रही है,

हम दोनों क्यों खफा खफा हैं,

मैंने पूछ लिया उससे,

क्यों इतना दर्द दिया कमबख्त तूने,

वह हंसी और बोली- मैं जिंदगी हूं पगले

तुझे पल पल जीना सिखा रही है।



भानु प्रकाश नारायण
(मुख्य यातायात निरीक्षक)
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