शुक्रवार, 28 जनवरी 2022
राष्ट्र की आराधना
आत्मा
मानवता
मानवता
मानवता मानव का वह गुणधर्म है जिसके मूल तत्व सत्य, अहिंसा, प्रेम, करूणा, दया, त्याग, शुद्धता, नैतिकता, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा आदि हैं।
मानवता उस भाव का नाम है जब कोई व्यक्ति दूसरे को कष्ट में देखकर दुःखी हो जाता है और दूसरों को सुखी देखकर खुश हो जाता है। मानवता ही एक ऐसा भाव है जिसके कारण मनुष्य दूसरे के हित में कार्य करता है। प्राचीन काल से ही यह कहा जाता है कि मनुष्य को परोपकार करना चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए। मानवता और परोपकार ही ऐसे भाव है जिनकी वजह से पृथ्वी पर जीवन संभव है। लेकिन यह हर व्यक्ति में नहीं पाया जाता है। मानवता का भाव रखने वाला व्यक्ति निस्वार्थ होकर दूसरों की मदद करता है और दूसरे के हित के लिए कार्य करता है।
मानवता ही है जिससे प्रभावित होकर मनुष्य विपदा में दूसरों की मदद करता है और पशुओं पर दया करता है। मानवता प्रेम और भाईचारे का संदेश देती है। मानवता ही है जिसे हर व्यक्ति मिल जुलकर विकास की राह पर चल सकता है।
लेकिन आज के समय में कुछ लोग मानवता को शर्मसार कर देते हैं। वह केवल अपना स्वार्थ देखते हैं और लोगों से अत्याचार करते हैं और क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते हैं। वह किसी की मदद करना पसंद नहीं करते हैं। आज के इस मतलब की दुनिया में जहाँ केवल स्वार्थ के लिए लोग एक दूसरे से जुड़े हुए है वहीं आज भी बहुत से लोग मानवता को जीवित रखे हुए है। वह हर विपदा में देश की मदद करते हैं और आपसी भाईचारे और प्रेम का संदेश देते है।
जिस व्यक्ति में मानवता नहीं है उस व्यक्ति को मानव कहलाने का हक नहीं है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने अंदर मानवता का भाव रखना चाहिए। अपने इस जीवन को मानव हित के लिए कार्य करना चाहिए। सबका हित सोचना, विपदा में मदद करना, सबके साथ मिल जुलकर रहना, प्रेम और भाईचारे की भावना रखना ही असली मानवता है।
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शुक्रवार, 21 जनवरी 2022
खुशी के सूत्र
1. उन चीजों पर ध्यान दें जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैं. अनिश्चित दौर में आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप अपने जीवन के उन पहलुओं पर अपनी दृष्टि जमाए रखें जिन पर आप सीधे प्रभाव डाल सकते हैं. इसमें आपके और आपके परिवार के लिए कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करना शामिल है. 2. सूचना के सही, विश्वसनीय और प्रामाणिक स्रोतों को सुनें. संख्याएं चिंताजनक लग सकती है; इसलिए सूचना के सही स्रोतों पर ही ध्यान देने और उनकी सिफारिशों को मानने पर ध्यान दें. 3. योग, विचारशीलता, और / या विश्राम संबंधी रिलेक्स करने वाले व्यायामों को हर दिन करें. 4. छोटी-छोटी चीजों का आनंद लें. 'परिवार के साथ समय बिताना', 'दूसरों के साथ साझेदारी का समय' और 'अपने लिए समय' अब उपलब्ध हैं, इसलिए उन्हें असरदार बनाएं. किसी शो का एपिसोड एक साथ देखें, कोई बोर्ड गेम खेलें, बागवानी करें या खाना बनाना सीखें. 5. सबसे महत्वपूर्ण बात, अपने जीवन में साथ देने वालों के प्रति कृतज्ञता का भाव पैदा करें और इसे संबंधित लोगों के सामने व्यक्त भी करें. कृतज्ञता व्यक्त करने का दैनिक हिसाब रखना यह शुरू करने का शानदार तरीका है.
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बुधवार, 19 जनवरी 2022
सुख-दुख का रहस्य
सुख-दुख का रहस्य
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार मनुष्य जीवन में सुख और दुख वास्तव में काल, कर्म, स्वभाव एवं गुणों के कारण होते हैं। यहां काल से तात्पर्य है परिवर्तनशील समय । इसी प्रकार प्रकृति के गुणों-तमो, रजो तथा सतोगुण में से जिस भी गुण की प्रधानता मनुष्य के भीतर होती है उसी के अनुसार वह अपने कर्म करता है। जैसे तमोगुण के प्रभाव में मनुष्य पशु की तरह व्यवहार करता है। जैसे केवल स्वयं के खाने-पीने तथा निद्रा के अलावा वह कुछ नहीं सोचता और पशु की तरह उनकी पूर्ति के लिए कोई भी अनैतिक कार्य करता है। इसके फलस्वरूप उसे दुख की प्राप्ति भी होती है। इसी प्रकार रजोगुण के प्रभाव में मनुष्य की कामनाएं बढ़ जाती हैं। इन कामनाओं की पूर्ति के लिए वह पूरे जीवन संघर्षरत रहता है। इन कामनाओं की पूर्ति में भी उसे कर्मफल के परिणामस्वरूप दुख को भोगना पड़ता है। सतोगुण के प्रभाव में मनुष्य मानवता के कल्याण तथा स्वयं के उत्थान के लिए कर्म करता हुआ परमसुख को प्राप्त करता है। यह जीवन का प्रमुख उद्देश्य भी है।
वहीं काल या समय मनुष्य के नियंत्रण में नहीं होता है। काल के अनुसार बहुत से दुख भी उसे मिलते हैं, परंतु मनुष्य इस प्रकार के दुखों को अपने कर्म तथा स्वभाव द्वारा नियंत्रण में ला सकता है। इसके लिए उसे अपने अंदर प्रकृति के द्वारा दिए हुए गुणों में परिवर्तन करने का प्रयास करना पड़ता है, परंतु अक्सर देखने में आता है कि मनुष्य परिस्थितियों का बहाना बनाकर स्वयं का समर्पण कर देता है। जबकि मनुष्य विवेक के द्वारा अपने अंदर प्रकृति के गुणों में परिवर्तन कर सकता है और तमोगुण से उठकर सतोगुण में जा सकता है। वह शुभकर्म करता हुआ आनंद की प्राप्ति कर सकता है। इसलिए मनुष्य को प्रत्येक काल में अपने आत्म उत्थान को ध्यान में रखते हुए अपने भीतर विद्यमान प्रकृति के गुणों का अवलोकन करके सतोगुण की प्राप्ति का प्रयास करना चाहिए। इससे स्वतः ही उसके सारे दुखों का निवारण हो जाएगा.
सोमवार, 3 जनवरी 2022
बेहतरीन क्षण
बेहतरीन पल
बेहतरीन प्रस्तुति
दिनांक 30.12.2021 को अधिकारी क्लब में परिचालन विभाग द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम की मनमोहक झलकियां-
स्मृति दत्ता कार्याधी, प्रमुकाधि कार्यालय के सफल निर्देशन के तहत बच्चियों द्वारा बेहतरीन प्रस्तुति।
रिद्धिमा- सरस्वती वंदना,
विथिका प्राची- काहे छेड़ मोहे,
विथिका सिंह वर्तिका सिंह - घूमर
शनिवार, 1 जनवरी 2022
अक्टूबर -2021 , माह के सर्वोत्तम कर्मचारी
पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल, परिचालन विभाग