मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में निर्वहन के लिए व्यक्ति के सामाजिक गुणों का अत्यंत महत्व है। गुणी व्यक्ति को प्रत्येक जगह सम्मान की प्राप्ति होती है। संसार के प्रत्येक प्राणी में कुछ गुण तो कुछ अवगुण पाए जाते हैं, परंतु कुछ लोग हैं जो दूसरे के अवगुणों को ही देखते हैं। वे किसी भी सकारात्मक पक्ष में नकारात्मकता देखने के अभ्यस्त हो जाते हैं। प्रायः ऐसे लोगों में निंदा की प्रवृत्ति पाई जाती है। ऐसा करके खुद को समाज में श्रेष्ठ एवं दूसरे को नीचा साबित करना चाहते हैं। निंदा एक नशे की भांति है, जो एक बार इसका आदी हो गया, वह दिन-प्रतिदिन इसके पाश में जकड़ता चला जाता है। मनीषियों ने निंदा को दुर्व्यसन के समान माना है, जो निंदा करने वाले व्यक्ति को अंदर ही अंदर नैतिक रूप से समाप्त करती रहती है। एक बार एक आचार्य अपने शिष्यों को शिक्षा प्रदान कर रहे थे। शिक्षा प्राप्ति के दौरान एक शिष्य अन्य शिष्यों की ओर संकेत करते हुए आचार्य से कहने लगा कि 'वे अपना कार्य सही से नहीं कर रहे हैं। मुझे लगता है इन लोगों को कार्य करना ही नहीं आता।' आचार्य यह बात सुनकर बोले, 'तुमको छोड़कर अन्य सारे शिष्य सही से कार्य कर रहे हैं।' इस पर शिष्य असहज हो गया। उसने आचार्य से पूछा, 'वह कैसे?' आचार्य बोले, 'क्योंकि वे लोग अपने-अपने कार्य में संलग्न हैं, किंतु तुम अपने कार्य पर ध्यान न देकर, दूसरों के कार्य की
मंगलवार, 24 मई 2022
निंदा का परित्याग
बेसिक कोर्स
पूर्वोत्तर रेलवे के स्काउट मास्टर का बेसिक और एडवांस कोर्स एवं रोवर स्काउट लीडर का बेसिक कोर्स का सफलता पूर्वक आयोजन
पूर्वोत्तर रेलवे स्काउट एवं गाइड का प्रशिक्षण 13 मई 2022 से 20 मई 2022 तक कटरा में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
राज्य प्रशिक्षण केंद्र, कटरा में आयोजित स्काउट मास्टर ट्रेनिंग कार्यक्रम 13 मई से 20 मई तक राज्य प्रशिक्षण केंद्र, कटरा में पूर्वोत्तर रेलवे के स्काउट मास्टर का बेसिक और एडवांस कोर्स एवं रोवर स्काउट लीडर का बेसिक कोर्स का सफलता पूर्वक आयोजन किया गया।
इस शिविर में पूर्वोत्तर रेलवे, पूर्व मध्य रेलवे, नॉर्थन रेलवे, महाराष्ट्र के कुल 36 प्रतिभागियों ने ट्रेनिंग प्राप्त किया। इस ट्रेनिंग में स्काउट के विभिन्न क्रिया कलापों का प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दिया गया, जिसमें मैप रीडिंग, पियोनियरिंग, एस्टीमेशन, लीडरशिप, ट्रुपमीटिंग, फर्स्ट एड, हाइक और कुकिंग मुख्य रूप से रहा। इस शिविर में वाराणसी मंडल के अजित कुमार श्रीवास्तव और संदीप मिश्रा को राज्य मुख्यालय के तरफ से ट्रेनर के रूप में नियुक्त किया गया था। इस अवसर पर स्टेट ट्रेनिंग कमिश्नर स्काउट भी उपस्थित रहे। इस शिविर में श्री अजित कुमार श्रीवास्तव को विगत वर्ष में हिमालयन वुड बैज प्राप्त करने के कारण विशेष रूप से बीड्स, स्कार्फ और प्रमाण पत्र देकर राज्य मुख्यालय द्वारा समान किया गया।
शुक्रवार, 20 मई 2022
सम्मान
सम्मान
बुधवार, 18 मई 2022
उल्लास की ऊर्जा
रविवार, 15 मई 2022
लोक गायिका शारदा सिन्हा
गीत-संगीत
लोक गायिका शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल जिले के हुलास गांव के एक समृद्ध परिवार में हुआ था | पिता शुकदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अधिकारी थे | बचपन में शारदा सिन्हा पटना में रहकर शिक्षा ली थी, शारदा सिन्हा बांकीपुर गर्ल्स हाईस्कूल की छात्रा रह चुकी है, बाद में मगध महिला कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद प्रयाग संगीत समिति,इलाहाबाद से संगीत में एमए किया |और समस्तीपुर के शिक्षण महाविद्यालय से बीएड किया | स्कूल और कॉलेज के दिनों में गर्मी की छुट्टी होने पर अपने गांव हुलास जाती थी। वहां आम के अपने बगीचे या गाछी में दूसरी लड़कियों के साथ शौक से आम को अगोरने(रक्षा करने)जाती थी | इस दौरान रिश्तेदार लड़कियों के साथ लोक गीत गाना सीखा | बगीचे में दिन भर रहती और खूब लोक गीत गाती थी |
पढ़ाई के दौरान संगीत साधना से भी जुड़ी रही | बचपन से ही नृत्य,गायन और मिमिक्री करती रहती थी,जिसने स्कूल-कॉलेज के दिनों में ही पहचान दिलाई |
शारदा सिन्हा एक बार जब शिक्षा ले रही थी तब एक दिन भारतीय नृत्य कला मंदिर में ऐसे ही सहेलियों के साथ गीत गा रही थी उनके गीत को सुनकर हरि उप्पल सर छात्राओं से पूछा कि यहां रेडिओ कहां बज रहा है | सब ने कहा कि शारदा गा रही है,इसे सुन उन्होंने मुझे अपने कार्यालय में बुलाया और टेप रिकार्डर ऑन कर कहा की अब गाओ | शारदा सिन्हा गाना शुरू किया जिसे बाद में उन्होंने सुनाया , सुन कर मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था कि मैं इतना अच्छा गा सकती हूं | मैंने पहली बार अपना ही गाया गाना रिकार्डेड रूप में सुना था|
शारदा सिन्हा के गायन की इस यात्रा में पिता के साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों का भरपूर सहयोग मिला | शादी के बाद पति डॉ. ब्रज किशोर सिन्हा ने भी हर कदम पर शारदा सिन्हा साथ दिया | इसके अलावा परिवार में बेटी वंदना, दामाद संजू कुमार, बेटा अंशुमन का भी सहयोग मिलता रहता है | शारदा सिन्हा की बेटी वंदना खुद एक अच्छी गायिका हैं और उनकी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं |
शारदा सिन्हा को इनके गायन के लिए राज्य और देश के कई प्रतिष्ठित सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है | 1991 में शारदा सिन्हा को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है | इसके साथ ही शारदा सिन्हा को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार समेत दर्जनों पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है |
शारदा सिन्हा ने अपने गायन से देश की सीमाओं से पार जाकर मॉरीशस में भी खूब लोकप्रियता पाई है |
1988 में उपराष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा के साथ मॉरीशस के 20वें स्वतंत्रता दिवस पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में यह भी शामिल थीं | वहां इनका भव्य स्वागत किया गया, इनके गायन को पूरे मॉरीशस में सराहा गया | इस यात्रा को याद करते हुए वह बताती हैं कि हम कलाकार होटल जाने के लिए बैठे तब मेरा गाया गीत गाड़ी में बजने लगा, इसे सुन काफी चौंकी, पता किया तो पता चला कि सभी कलाकारों की गाड़ी में मेरा गाया गीत बज रहा है। इसे मॉरीशस ब्राडकास्टिंग कॉरपोरेशन की ओर से चलाया जा रहा था। इसे सुन काफी खुशी मिली |
बहुत कम लोगों को पता होगा कि वह कभी मणिपुरी नृत्य की एक अच्छी नृत्यांगना भी रह चुकी हैं | शारदा सिन्हा को बचपन से ही नृत्य और गायन से कितना लगाव था | भारतीय नृत्य कला मंदिर में नृत्य की परीक्षा के समय इनका दाहिना हाथ फ्रैक्चर हो गया लेकिन इसके बावजूद इन्होंने मणिपुरी नृत्य किया और अपनी कक्षा में प्रथम आईं | भारतीय नृत्य कला मंदिर के ऑडिटोरियम का उद्घाटन करने के लिए तब के राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधा कृष्णन आए, उस कार्यक्रम में इन्होंने मणिपुरी नृत्य पेश किया जिसे उन्होंने काफी सराहा | याद कर वह कहती हैं कि उनके गांव हुलास में दुर्गापूजा में नाटक होता था उसे देखने के लिए भी लड़कियां नहीं जाती थीं | पिता की दूरदर्शी सोच ने उन्हें घर से बाहर निकाला, घर पर गुरु को बुलाकर संगीत की शिक्षा दिलाई और बाद में भारतीय नृत्य कला मंदिर में नाम लिखवा दिया | उसी गांव में 1964 में पहली बार मंच पर भी गाकर रूढ़िवादी सोच को तोड़ा | बाद में गांव वाले परिवार वालों से पूछते कि शारदा अब कब गांव आएगी और गाएगी | वह कहती हैं कि पिता काफी प्रगतिशील थे इसलिए उन्होंने सपोर्ट किया लेकिन समाज तो रूढ़िवादी ही था इसलिए मायके के लोगों को बुरा लगता कि मैं नृत्य और गायन सीखती हूं |शारदा सिन्हा के जीवन का हमेशा से यह उसूल रहा है कि वह अच्छे गाने गाएं, जो भी गाया उसमें हमेशा गुणवत्ता का ख्याल रखा है | उनका मानना है कि अच्छा गाने वाले बहुत कम गाकर भी लोगों तक पहुंच सकते हैं और लोकप्रियता पा सकते हैं | अगर किसी गाने के बोल अश्लील या अच्छे नहीं हैं तो उसे वह नहीं गातीं | गायन में शालीनता और मिट्टी की सोंधी महक रहे यह कोशिश वह हमेशा करती हैं |यही कारण है कि बॉलीवुड से आए गायन के कई प्रस्ताव को भी नकार चुकी हैं |
(संकलन)
गुरुवार, 12 मई 2022
जीवन प्रबंधन
जीवन परमात्मा की सबसे अमूल्य देन है। यूं तो जीवन किसी युक्ति से बीत ही जाता है, परंतु यदि इसको संपूर्ण संभावनाओं के साथ जीना है तो लक्ष्य निर्धारित कर उस पर दृष्टि टिकाए रहना बेहद जरूरी है। आज सभी प्रकार के प्रबंधन पर विशेष पाठ्यक्रम हैं। हालांकि जीवन प्रबंधन भी एक कला है, जो यथार्थ है और आदर्श भी। दो-चार शब्दों में इस जीवनशैली को विस्तार देना किसी के सामर्थ्य की बात नहीं।
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वार्ता का महत्व
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