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शुक्रवार, 20 मई 2022

सम्मान

 सम्मान


    दुनिया में ऐसा कोई नहीं जो सम्मान की इच्छा या आशा न रखता हो। हम सभी चाहते हैं कि हमें सदैव सभी द्वारा सम्मान प्राप्त हो, परंतु सम्मान देना बहुत कम लोग चाहते हैं, अधिकांश सिर्फ सम्मान की आशा रखते हैं। ऐसा क्यों? क्योंकि प्रत्येक मनुष्य स्वाभाविक रूप से लेना पसंद करता है, परंतु जब कुछ देने का समय आता है तब उसे पीड़ा होती है।

    हममें से अधिकांश लोगों को बचपन से ही दूसरों को सम्मान देने का पाठ पढ़ाया गया है, परंतु क्या आज तक किसी ने हमें यह सिखाया कि हम खुद को कैसे सम्मान दें? शायद नहीं। इस वजह से आज हमारे संबंधों में सामंजस्य नहीं है और हम आंतरिक एवं बाह्य संघर्षों से सदा जूझते रहते हैं। स्वमान की कमी के कारण हमारे जीवन में बेसुरापन और नकारात्मकता आ गई है। अतः यदि हम स्थिर और सकारात्मक जीवन बनाए रखना चाहते हैं तो स्वमान अनिवार्य है। फिर हमारे भीतर से जैसे को तैसा, दूसरों के प्रति गलतफहमियां और अस्थिरता जैसी tr अनेक खामियां निकल जाएंगी। फिर हम जीवन का आनंद ले पाएंगे। अपने स्वमान को सशक्त करने का सरल उपाय है दूसरों को मान देना, चाहे सामने वाला कैसा भी हो। आप सभी को मान देते चलो तो आपके स्वमान में स्वयं वृद्धि होती रहेगी। F

    एक प्रसिद्ध कहावत है कि यदि आप सम्मान चाहते हो तो सम्मान दो। सम्मान देने से हम स्वाभाविक ही उसे प्राप्त करने के पात्र बन जाते हैं। इसके साथ हम अपने भीतर भी स्व के लिए मान पैदा करना सीख जाते हैं। जब हम दूसरों को सम्मान देते हैं, तब पहले हम कुछ घड़ियों के लिए उनकी प्रतिमा अपने मन में उभारते हैं। उन चंद घड़ियों में हम उन्हें सम्मान देने के साथ-साथ पहले अपने मन में उसे प्रत्यक्ष करते हैं। ऐसा करते समय हमें संयोग से खुद के प्रति भी मान की अनुभूति होती है। अतः यदि हम सम्मानित जीवन जीना चाहते हैं तो हमें सदा दूसरों को सम्मान देने का संस्कार धारण करना ही होगा। यही सम्मान प्राप्ति का भी मार्ग होगा।

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