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शनिवार, 30 अक्तूबर 2021

रेल सप्ताह पुरस्कार 2021

 66 वां रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह 2021

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        पूर्वोत्तर रेलवे का 66 वां रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह शुक्रवार दिनांक 29 अक्तूबर 2021 को सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम , गोरखपुर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। करोना काल में उत्कृष्ट कार्य कर निर्बाध ट्रेन संचालन में अहम योगदान देने वाले मुख्यालय गोरखपुर सहित लखनऊ , वाराणसी एवं इज्जत नगर मंडल के 109 रेलकर्मियों  सम्मानित किया गया ।

        महाप्रबंधक श्री विनय कुमार त्रिपाठी जी ने


रेलकर्मियों को उत्कृष्ट कार्य करने हेतु गोल्ड प्लेटेड मेडल, प्रशस्ति पत्र और नकद पुरस्कार प्रदान किया ।   
  महाप्रबंधक महोदय ने व्यक्तिगत पुरस्कार के अलावा 26 सामूहिक पुरस्कार, 20 अंतर मंडलीय कार्यकुशलता शील्ड, सर्वोत्तम अनुरक्षित गैंग 11 ट्रैक मेंटेनर तथा नौ अन्य  पुरस्कार प्रदान किया । जिसमें अंतरमण्डलीय  सर्वांगीण कार्यकुशलता शील्ड वाराणसी मंडल को दी गई। 

         महाप्रबंधक महोदय ने इस अवसर पर प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक श्री अनिल कुमार सिंह की उपस्थिति में परिचालन विभाग के निम्नलिखित कर्मचारियों को सम्मानित किया -

1.श्री शेख समी उर रहमान,मंडल परिचालन प्रबंधक /संचलन, लखनऊ

 2.श्री संजय कुमार कन्नौजिया ,

सचिव/ प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक, गोरखपुर

 3.श्री आशुतोष सुमन, यातायात निरीक्षक / प्लानिंग मंडल परिचालन कार्यालय ,वाराणसी ।

4.श्री सत्य प्रकाश ,स्टेशन अधीक्षक /हल्दी रोड 

5.श्री सत्य प्रकाश सत्संगी, मुख्य यातायात निरीक्षक ,प्रमुख मुख्य परि. प्रबंधक कार्यालय, गोरखपुर ।

6.श्री अनिल पांडेय ,यातायात निरीक्षक 

मंडल परिचालन कार्यालय, लखनऊ ।

7.श्री नवनीत कुमार, स्टेशन अधीक्षक , सीवान।

8.श्री सरफराज खान .गेट मैन , गेट संख्या 197-सी, रुदायन

9. श्री भानु प्रकाश नारायण ,

मुख्य यातायात निरीक्षक ,  प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक कार्यालय, गोरखपुर

10. श्री चौधरी ललित कुमार ,

फाटक वाला, गेट संख्या 18-सी, तहसील फतेहपुर।

     प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी रीता पी हेमराजानी ने इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत किया।

 इस मौके पर पूर्वोत्तर रेलवे महिला कल्याण संगठन की अध्यक्षा श्रीमती मीना त्रिपाठी और अपर महाप्रबंधक श्री अमित कुमार अग्रवाल सहित समस्त विभागाध्यक्ष ,मंडल रेल प्रबंधक अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे इस अवसर पर पूर्वोत्तर रेलवे कला समिति के कलाकारों ,रेलवे स्कूल के छात्र -छात्राओं ने मनोभावन सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

    मुख्य जनसंपर्क अधिकारी श्री पंकज कुमार सिंह ने संचालन और उप महाप्रबंधक/ सामान्य श्री के. सी. सिंह ने आभार ज्ञापित किया ।
















गुरुवार, 28 अक्तूबर 2021

वास्‍तविक सम्‍पन्‍नता

 

वास्‍तविक सम्‍पन्‍नता

समृद्धि या सम्‍पन्‍नता का सृजन सर्वप्रथम हमारे मानस पटल पर होता है। समाज का यही मुख्‍य दृष्टिकोण है कि जिसके पास भौतिक संपत्ति अर्थात् धन- संपदा होती है वहीं संपन्‍न है। इसके विपरित यदि हम अपने आध्‍यात्मिक ग्रंथों पर दृष्टिपात करें तो उनका सिद्धांत भौतिक सिद्धांत से विपरीत होता है। हमारे मनीषियों ने मानसिक रूप से समृद्ध व्‍यक्ति को वास्‍तविक धनी माना है। यदि मनुष्‍य आंतरिक रूप से समृद्ध एवं संतुष्‍ट नहीं है तो बाहर की भौतिक समृद्धि भी उसे सुख की अनुभूति नहीं करा सकती। प्राय: हम देखते हैं कि समाज में कुछ लोगों के पास धन-संपदा तथा भौतिक सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं होती, परंतु वे फिर भी अपने जीवन से संतुष्‍ट नहीं होते। अत्‍यधिक प्रसिद्धि की व्‍यर्थ कामना करके मानसिक पटल को अशांत और तनावग्रस्‍त बना देती है। इसके विपरीत धन के अभाव में भी जो व्‍यक्ति आंतरिक रूप से संतुष्‍ट नहीं है, जिसने अपनी वर्तमान स्थिति और वास्‍तविकता के साथ सही संतुलन स्‍थापित कर लिया है, वह व्‍यक्ति संपदा के अभाव में भी सुखी है।

 

     मानसिक संतुष्टि को हमारे ग्रंथों में सर्वोपरि धन माना गया है। जो लोग सदैव भौतिक साधनों की लिप्‍सा में लिप्‍त रहते हैं वे अत्‍यधिक लोभ-लालसा के वशीभूत होकर उस संपदा के आनंद की भी अनुभूति नहीं कर पाते, जो उनके पास होती है। अपनी अंतहीन तृष्‍णा से संतप्‍त ऐसे लोग हमेशा मानसिक रूपसे दरिद्रता की श्रेणी में आते हैं। हमारे दार्शनिक का कहना है कि जिस मनुष्‍य की तृष्‍णा आपार हो गई है वह दुनिया का सबसे बड़ा निर्धन है। ऐसे व्‍यक्ति अपने जीवन में कभी भी आंतरिक रूप से आनंद का अनुभव करने में सक्षम नहीं हो सकता। स्‍पष्‍ट है कि हमारी मानसिक अवस्‍था हमारी समृद्धि तथा दरिद्रता के निर्धारण की महत्‍वपूर्ण कारक है। जो व्‍यक्ति तनाव मुक्‍त जीवन जी रहा है। बिना किसी विषाद के सुकून से सो रहा है वही वास्‍तविक रूप से समृद्धि का पर्याय है। वस्‍तुत- आंतरिक एवं मानसिक रूप से परिपूर्ण होना ही संपन्‍नता का चरमोत्‍कर्ष हैा

 

ज्ञान-अज्ञान

 

ज्ञान-अज्ञान

     ज्ञान की शक्ति से ही मनुष्‍य अनंत सामर्थ्‍यवान है। जिसके पास जितना अधिक ज्ञान है, वह उतना ही अधिक शक्ति संपन्‍न है। सच्‍चा ज्ञान व्‍यक्ति को विनम्र और विराट व्‍यक्तित्‍व वाला बनाता है। इसके विपरीत अज्ञानता हठधर्मिता की जननी है। अज्ञानी व्‍यक्ति आत्‍मकेन्द्रि‍त और क्षुद्र सोच वाला होता है। अज्ञान मन की रा‍त्रि है, लेकिन वह रात्रि जिसमे न तो चांद है और न तारे। वस्‍तुत: अज्ञानता जीवन की वह अंधकार पूर्ण स्थिति है जिसमें जीवन की राह दिखाई नही पड्ती । वहां गहन रात्रि में होने वाला चांद तारो का धुधला प्रकाश भी उपस्थित नही रहता । इस गहन अंधकार के बीच सही राह को देखना और उस पर जाना बहुत ही कठिन है। अंधकार को अज्ञान का प्रतीक माना गया है। इसके विपरीत प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। जैसे प्रकाश में सत्‍य उद्घाटित होता है, वैसे ही ज्ञान के उदय से वास्‍तविक-अवास्‍तविक, सत्‍य-असत्‍य , श्रेयस और प्रेयस के बीच अंतर स्पष्‍ट रूप से दिखाई पड्ता है।

      वास्‍तव में ज्ञान की प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम संकीर्णता का परित्‍याग करना पड्ता है। ज्ञान के ग्रहण के लिए मस्तिष्‍क को खोलना पड्ता है। एक संकुचित मस्तिष्‍क के साथ हम कभी सच्‍चे ज्ञान की प्राप्ति नहीं कर सकते। भिन्‍न-भिन्‍न विचारों के बीच व्‍यक्ति को खुले, ग्रहणशील मस्तिष्‍क से समन्‍वयात्‍मक दृष्टिकोण अपनाते हुए उन सब में से सार तत्‍व को लेना पड्ता है। दिमाग पैराशूट के समान है। यह तभी काम करता है, जब खुला हो। एक खुला विचारशील, चि‍तनपूर्ण मस्तिष्‍क ही वास्‍तविक ज्ञान प्राप्ति का साधन है। अन्‍यथा की स्थिति में बंद दिमाग के साथ यह अज्ञानता आनंद की वजह बन जाती है, पर यह मात्र छलावा होता है।

      ज्ञान की साधना के लिए हमें कुछ अलग तरह से सोचना और करना पड्ता है। वास्‍तव में ज्ञान की प्राप्ति के लिए हमें अपनी अज्ञानता का अहसास होना आवश्‍यक है। यह ज्ञान प्राप्ति की दिशा में एक बहुत बडा कदम है।

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2021

सतर्कता जागरूकता सप्ताह

 पूर्वोत्तर रेलवे में सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत आज दिनांक 26 अक्तूबर 21 को प्रमुख मुख्य  परिचालन प्रबंधक कार्यालय ,पूर्वोत्तर रेलवे /गोरखपुर के गुड्स  हाल में 11:00 बजे दिन में सी.टी पी.एम. श्री  संजय त्रिपाठी जी ने अधिकारियों /कर्मचारियों को सत्यनिष्ठा की शपथ दिलाई।

                इस अवसर पर सी.एफ.टी .एम श्री बिजय कुमार , सी.पी.टी.एम. श्री आलोक कुमार सिंह, उप मुख्य परिचालन प्रबंधक (माल) श्री सुमित कुमार , उप मुख्य संरक्षा अधिकारी (यांत्रिक) श्री अभ्युदय, प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक के सचिव श्री संजय कन्नौजिया , वरिष्ठ परिचालन प्रबंधक (कोचिंग ) श्री प्रदीप कुमार अस्थाना, सहायक परिचालन प्रबंधक (कोचिंग) श्री मनोज आनंद सिंह , सहायक परिचालन प्रबंधक (संरक्षा) श्री रमेश पाण्डेय एवं सहायक परिचालन प्रबंधक (परियोजना ) श्री संजय कुमार शर्मा उपस्थित थे।






बुधवार, 13 अक्तूबर 2021

समय का पहिया

 

    सृष्टि में एक समय ही है जो कभी ठहरता नहीं।अपनी गति से चलता रहता है। उसका एक-एक क्षण इतना अनमोल है कि दुनिया का सबसे धनी व्यक्ति भी अपनी समस्त संपदा व्यय करके भी बीते हुए क्षण को वापस नहीं ला सकता। इसी कारण समय को सबसे अनमोल माना गया है। समय और चरित्र के विषय में भी भी कहा भी गया है कि यदि धन चला गया तो समझिए कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य सीन हुआ तो समझिए कुछ गंवाया और यदि समय और चरित्र नष्ट हो गए तो समझिए सब कुछ नष्ट हो गया। यही कारण है कि लोगों को नसीहत दी जाती है कि वह अपना समय व्यर्थ ना करें। समय के प्रत्येक क्षण में कुछ ना कुछ सकारात्मक करते रहे। 


    स्मरण रहे कि अगर आप सही समय पर अपना काम करते हैं तो ठीक। अन्यथा समय का वह पड़ाव गुजर जाता है। इसके साथ ही आपके जीवन में आया हुआ अवसर भी आपसे दूर हो जाता है। समय और अवसर एक दूसरे के अभिन्न मित्र हैं, जिन्हें तनिक भी लापरवाही पसंद नहीं है। ऐसे में जिस किसी भी व्यक्ति ने समय गवाया मानो उसने अब अवसर भी गवा दिया। प्राय: लोग अपने सही समय की प्रतीक्षा करते रहते हैं, लेकिन असल में आपके पास उपलब्ध समय का प्रत्येक क्षण ही सही होता है। सिर्फ आपको उसका उपयोग करना आना चाहिए। 


    समय बहुत शक्तिशाली जी होता है। वह किसी को घुटने टिकवा सकता है। ऐसे में समय को रोकने या उसके विरोध जाने से बेहतर है कि हमें उसके साथ कदमताल करके चलना चाहिए। जिस किसी ने भी अपने जीवन में समय को महत्व को समझ लिया तो निश्चय ही उसने अपने जीवन में सफलता सुनिश्चित करने का मार्ग खोज लिया। ऐसे में सभी लोगों को चाहिए कि वह समय की कीमत को समझें और उसके साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का प्रयास करें। अगर कोई भी व्यक्ति इस मूल मंत्र को आत्मसात कर लेगा तो समझिए की उसकी प्रगति में कोई अवरोध नहीं आने वाला।


बुधवार, 6 अक्तूबर 2021

राजभाषा समीक्षा बैठक (29.09.2021)

 दिनांक 29.09.2021 को परिचालन विभाग की वर्चुअल राजभाषा समीक्षा बैठक संपन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता श्री अनिल कुमार सिंह, प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक महोदय ने की। इस अवसर पर मुख्य परिवहन योजना प्रबंधक श्री संजय त्रिपाठी, मुख्य मालभाड़ा परिवहन प्रबंधक श्री बिजय कुमार, मुख्य यातायात परिवहन प्रबंधक श्री आलोक कुमार सिंह सहित परिचालन विभाग के अधिकारी, यातायात निरीक्षक एवं कार्याधी उपस्थित थे। इसके अलावा राजभाषा विभाग मुख्यालय से वरिष्ठ अनुवादक श्री श्याम बाबू शर्मा भी उपस्थित रहे। चर्चा के उपरांत अध्यक्ष महोदय के निर्देशानुसार निम्नलिखित निर्णय लिए गए, जिनका अनुपालन किया जाना है :- 

1. प्रत्येक समीक्षा बैठक में परिचालन विभाग के कार्य से संबंधित या अन्य विषय से संबंधित प्रेजेन्टेशन भी दिया जाए। अगली बैठक में लखनऊ मंडल के यातायात निरीक्षक श्री पीयूष वर्मा द्वारा प्रेजेंटेशन दिया जाएगा।

2. परिचालन विभाग की ई-पत्रिका में प्रत्येक मंडल द्वारा किसी भी विषय पर कम से कम तीन पोस्ट अपलोड करना अनिवार्य है, जबकि पिछले तीन माह में किसी भी मंडल द्वारा इसमें पोस्ट नहीं की गई है। 

3. प्रत्येक समीक्षा बैठक में तीनों मंडल के नामित सह संपादक अवश्य उपस्थित रहें।

4. विभाग का सभी कार्य ई-ऑफिस पर निष्पादित किया जाए। नोटिंग में हिंदी को प्राथमिकता दी जाए।

4. अधिकारीगण अपने निरीक्षण के दौरान राजभाषा विषयक निरीक्षण भी करें।