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मंगलवार, 27 जून 2023

 


प्रमुख मुख्‍य परिचालन प्रबन्‍धक महोदय द्वारा इज्‍ज्‍तनगर मण्‍डल में परिचालन कर्मचारियों के साथ संरक्षा संवाद ।

मंगलवार, 13 जून 2023

Dhyan.

 ध्यान अभ्यास


मनुष्य ने अपनी हिम्मत और बुद्धि के आधार पर कई चुनौतियों को पार किया है, किंतु अब तक अपने मन को नियंत्रित करने में असफल रहा है। अधिकांश लोग कहते हैं मन एवं उसमें निरंतर आने वाले विचारों के प्रवाह को रोक पाना उनके लिए असंभव है, परंतु इसको संभव करना बिल्कुल सहज और सरल है। ध्यान अभ्यास द्वारा हम न केवल चंचल मन को काबू में कर सकते हैं, बल्कि विचारों को भी कर सकते हैं


प्रायः लोग वस्तुओं को भूल जाते हैं, सुनी, पढ़ बातों को भूल जाने की घटनाएं भी होती रहती हैं, किंतु ऐसा कदाचित ही होता है कि कोई स्वयं को ही भुला दे। ऐसी विचित्रता मनुष्यों में देखी जा सकती है। 'मैं एक अजर-अमर चैतन्य आत्मा हूं' इस तथ्य को भुलाकर हमने खुद को शरीर मान उसी के स्वार्थों को अपना स्वार्थ, उसी की आवश्यकताओं को अपनी आवश्यकता मानना शुरू कर दिया है। हमें यह किंचित भी याद नहीं रहता कि शरीर और मन आत्मा रूपी सारथी के साधन मात्र हैं। हम आत्मा को दिव्य गुणों से सुसज्जित करने के बजाय शरीर को स्वर्ण आभूषणों से सजा रहे हैं। परमात्म ज्ञान रूपी शक्तिंवर्धक से आत्मा को वंचित करके शरीर रूपी स्थूल साधन को दूध पिला रहे हैं। आज हमारी हालत मेले में खो गए उस बच्चे जैसी हो गई है, जिसका हाथ बीच रास्ते अपनी मां के हाथ से छूट गया और जो अपना नाम, घर का पता और गंतव्य स्थान का नाम तक भूल गया।


गीता में कहा गया है, जो मनुष्य मन को वश में कर लेता है, उसका वह मन ही परम मित्र बन जाता है, लेकिन जो मन को वश में नहीं कर पाता है, उसके लिए वह परम शत्रु के समान हो जाता- है। मन का वशीकरण मंत्र है 'खुद को आत्मा समझना।' मन, बुद्धि और संस्कार ही चैतन्य आत्मा के साधन हैं। इनको यदि कोई नियंत्रित कर सकता है तो वह है उनका स्वामी यानी 'आत्मा'। हम सभी ध्यान साधना द्वारा अपने जीवन को सुखी एवं शांतिमय बनाएं।