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बुधवार, 27 मई 2015


60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर

महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत

श्री अशोक कुमार

प्रवर पैसेन्जर गार्ड

गोरखपुर
 
1/2 दिसंबर, 2014 को 12541 अप मनकापुर यार्ड में तीव्र गति से प्रवेश कर रही थी और स्टार्टर सिगनल लाल था। चालक दल द्वारा लाल सिगनल की अनदेखी करने पर श्री अशोक कुमार गार्ड ने स्टेशन मास्टर द्वारा वीएचएफ पर गाड़ी रोकने के संदेश को सुनकर आपातकालीन ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोका अन्यथा ब्लाक खंड मे चल रही 55027 अप से एक भयंकर दुर्घटना हो सकती थी।
 
श्री अशोक कुमार की संरक्षा के प्रति जागरूकता प्रशंसनीय है। .
 

60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर

महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत

श्री परमेश्वर यादव

स्टेशन मास्टर

चुरेब
 
2 जनवरी, 2015 को प्रातः 5.45 बजे जे.ई.ए. चुरेब स्टेशन से पास होते समय श्री परमेश्वर यादव ने देखा कि इसके एक वैगन में हाट एक्सिल है. इन्होंने तुरन्त इसकी सूचना खलीलाबाद संटेशन एवं लखनऊ कंट्रोल को दी जिसकी वजह से उक्त वैगन को ट्रेन से अलग कर संभावित दुर्घटना बचाई जा सकी.
 
श्री यादव की संरक्षा के प्रति जागरूकता सराहनीय है.
 

मंगलवार, 26 मई 2015


60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर

महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत

श्री डी. के. लाल

स्टेशन अधीक्षक

छपरा जं.
 

19 फरवरी, 2015 को साइडिंग में 16 कोचों की खड़ी रेक के कोच में भीषण आग लग गई. श्री डी. के. लाल की तत्परता से उक्त कोच को तुरन्त रेक से अलग कराकर उपलब्ध अग्निशमन यंत्रों एवं पानी की मदद से 30 मिनट के अंदर आग पर काबू पा लिया गया.
 

श्री डी. के. लाल की कर्तव्यपरायणता एवं सूझ-बूझ प्रशंसनीय है.
 

60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर

महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत

श्री सुशील कुमार पाण्डेय

मुख्य नियंत्रक/माल

वाराणसी
 
श्री सुशील कुमार पाण्डेय ने रेक हैण्डलिंग/मूवमेंट वाले स्टेशनों पर रेकों के प्लेसमेंट/विद्ड्राल तथा अन्य मंडलों से समन्वय स्थापित कर मालगाड़ियों का त्वरित संचालन कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
 
श्री पाण्डेय की कुशल कार्य योजना प्रशंसनीय है.
 

60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर

महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत
 
 
 
श्री के. सी. तिवारी
गार्ड (मेल/एक्सप्रेस)
 
वाराणसी
 
 
1/2 मार्च, 2015 को 15003 डा. चौरीचौरा एक्सप्रेस गंगा नदी के पुल पर ब्रेक पाइप का एयर प्रेशर गिरकर कम हो जाने के कारण रूक गई. श्री के. सी. तिवारी ने देखा कि 14 डिब्बे पुल पर तथा 2 डिब्बे नीचे हैं. मूसलाधार बारिश के बावजूद श्री तिवारी ने कंट्रोल को सूचित करते हुए यानों के भीतर से पेट व घुटनों के बल पर एसीपी वाले कोचों तक पहुंच कर इसे ठीक किया.
 
श्री तिवारी की सूझ-बूझ तथा अदम्य साहस प्रशंसनीय है.
 
 

60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर
महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत
 
 
 
श्री अब्दुल हक
कार्यालय अधीक्षक
परिचालन विभाग/गोरखपुर
 
श्री अब्दुल हक की कार्यकुशलता के फलस्वरूप वर्ष 2014-15 में कुल 8783 अतिरिक्त यान विभिन्न गाड़ियों में प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को क्लियर करने के लिए लगाया गया.
 
श्री हक की कार्य कुशलता सराहनीय है.
 

60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर

महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत

श्री अशोक सिंह
मुख्य कार्यालय अधीक्षक
परिचालन विभाग/गोरखपुर







श्री अशोक सिंह द्वारा इस रेलवे की प्रतिदिन की लोडिंग, आय, अन्य रेलवे के साथ प्रतिदिन इंटरचेंज होने वाली मालगाडियों एवं वैगन की होल्डिंग आदि आंकडों का सही लेखा जोखा का कार्य पूरी तन्मयता के साथ किया जाता है.
श्री सिंह की कार्य के प्रति लगन प्रशंसनीय है.












60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर
महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत
 
 
 

श्री मनीष कुमार
यातायात निरीक्षक/नियोजन
परिचालन विभाग/गोरखपुर
 

श्री मनीष कुमार के नियोजन प्रयासों से बलिया-गाजीपुर खंड का दोहरीकरण, आठ ब्लाक खंडों में आई.बी.एस. का निर्माण तथा मंडुआडीह में आईलैंड प्लेटफार्म के निर्माण की स्वीकृति निर्माण कार्यक्रम 2015-16 में मिली.

 
श्री मनीष कुमार की कार्यनिष्ठा प्रशंसनीय है.
 

 

60 वें रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015 के अवसर पर
महाप्रबंधक महोदय द्वारा पुरस्कृत
 
 
श्री प्रकाश चन्द्र जायसवाल
उप मुख्य परिचालन प्रबंधक/माल, गोरखपुर
 
श्री प्रकाश चन्द्र जायसवाल द्वारा इस रेल के विभिन्न खंडों के दोहरीकरण से संबंधित नान इंटरलॉकिंग वर्किंग के दौरान अन्य रेलों से समन्वय स्थापित करने का कार्य अत्यंत कुशलतापूर्वक किया गया, जिससे मालगाड़ियों का न्यूनतम विलंबन हुआ. आपकी कुशल आयोजना से विगत 18 दिसंबर, 2014 को 141 एवं 16 जनवरी, 2015 को 149 मालगाड़ियों का इंटरचेंज किया गया जो अब तक का सर्वोच्च आंकड़ा है.
 
श्री जायसवाल का कुशल कार्य प्रबंधन अनुकरणीय है.
 
 
60 वाँ रेल सप्ताह पुरस्कार वितरण समारोह-2015
 
 




 

सोमवार, 25 मई 2015

 संरक्षा पुस्तकों का विमोचन


दिनांक 16.05.15 को महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे श्री राजीव मिश्र की अध्यक्षता में संरक्षा विभाग द्वारा "ट्रेनों में आग से रोकथाम" विषय पर संरक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर महाप्रबंधक, पूर्वोत्तर रेलवे श्री राजीव मिश्र ने संरक्षा विभाग की ''कम्पेंडियम ऑन फायर प्रिवेंशन इन ट्रेन'' तथा विद्युत विभाग की पुस्तिका का विमोचन किया.
 
  ''कम्पेंडियम ऑन फायर प्रिवेंशन इन ट्रेन''



विद्युत विभाग की पुस्तिका
 
ट्रेनों में आग से रोकथाम
श्री राजीव मिश्र, महाप्रबंधक 



दिनांक 16.05.15 को महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे श्री राजीव मिश्र की अध्यक्षता में संरक्षा विभाग द्वारा "ट्रेनों में आग से रोकथाम" विषय पर संरक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया गया.
 इस अवसर पर महाप्रबंधक श्री राजीव मिश्र ने अपने संबोधन में कहा-
 
''भारतीय रेल देश के परिवहन की रीढ़ है। हम ट्रेनों का उपयोग माल ढुलाई एवं यात्री यातायात के लिए करते हैं। ट्रेन की यात्रा सस्ती एवं आरामदायक होने के कारण लोग ट्रेन की यात्रा को प्राथमिकता देते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम रेल यात्रियों को सुरक्षित एवं संरक्षित यात्रा प्रदान करें।
 
 
ट्रेन में अग्निकांड मानव जीवन एवं सरकारी सम्पत्ति दोनों के लिए बहुत ही गंभीर आपदा कहलाती है। हमारे लिए ट्रेन में आग से रोकथाम एक गंभीर मुद्दा है। वैसे तो हमने ट्रेन के प्रत्येक कम्पार्टमेंट में आग से बचाव के बारे में सावधानी बरतने संबंधी पोस्टर आदि लगा रखे हैं, जिसमें यात्रियों को ’’धूम्रपान निषेध’’ "ज्वलनशील सामग्री न ले जाएं’’ के संबंध में आगाह किया गया है। इसके अलावा हम समय-समय पर विशेष अभियान चलाकर अनाधिकृत सामग्रियों की जांच भी कराते रहते हैं। फिर भी नियमित जांच प्रणाली की विफलता अथवा असामाजिक तत्वों के कार्यकलापों से कभी-कभी ट्रेन में आग लगने की दुर्घटना घट ही जाती है।
 
 
वर्तमान में भारतीय रेलवे पर ऐसा कोई विशेष अग्नि निवारक उपाय प्रयोग में नहीं लाया गया है जिससे शत-प्रतिशत अग्निकांड से बचाव हो। ट्रेन में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे विद्युत तार में शार्ट सर्किट होना, ट्रेन में डीजल, पेट्रोल, गैस स्टोव, विस्फोटक, पटाखे आदि ले जाना अथवा धूम्रपान करना। हम इन पर रोक लगाकर काफी हद तक ट्रेन में आग लगने से रोक सकते हैं।
 
 
आग की भयावहता से रेल यात्रियों, चल स्टाक एवं रेल इंफ्रास्ट्रक्चर को बचाना रेल प्रशासन के लिए एक दुष्कर कार्य है। धूम्रपान की एक छोटी सी चिंगारी विकराल रूप धारण करने रेलवे का काफी नुकसान पहुंचा सकती है। इससे निपटने के लिए हमें सटीक योजना बनानी होगी एवं सम्मिलित प्रयास से इसका हल निकालना होगा।
रेलवे पर आग से रोकथाम के लिए दो चरणों में कार्य करना होगा-
 
1. अग्नि निवारण प्रबंधन के लिए सुरक्षा की प्रथम पंक्ति के रूप में आन बोर्ड रोलिंग स्टाक प्रबंधन एवं फायर डिटेक्शन
 
2. तत्पश्चात् स्टेशन का सुरक्षा प्रबंधन
 
ट्रेन में अग्निकांड से यात्रियों की संरक्षा (सेफ्टी) को उच्चतर बनाने के लिए भारतीय रेलवे ने अनेक कदम उठाए हैं-
- कोचों को फायरप्रूफ बनाने के लिए भारतीय रेलवे सदैव प्रयासरत है, इसके लिए फायरप्रूफ सामग्रियों के इस्तेमाल पर विशेष बल दिया जा रहा है। ऐसी सामग्रियों की विशिष्टियों की राष्ट्रीय एवं अतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर आवधिक रूप से समीक्षा की जाती है।
 
- सभी नए कोचों के निर्माण एवं विद्यमान कोचों की आवधिक ओवरहालिंग के समय फायरपू्रफ सामग्री लगाई जा रही है।
 
- सभी वातानुकूलित कोचों, गार्ड ब्रेकवान, पेंट्रीकार एवं ट्रेन लोकोमोटिव में अग्निशामक उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सभी विद्युत उपकरणों एवं फीटिंग जैसे एमसीबी, लाइट फीटिंग, टर्मिनल बोर्ड, कनेक्टर आदि में उन्नत किस्म की सामग्री उपयोग में लाई जा रही है।
 
- पेंट्रीकार में सुरक्षित एवं संरक्षित उपाय अपनाने के विस्तृत निर्देश दिए गए हैं और समय-समय पर पेंट्रीकार में विद्युत एवं एलपीजी फीटिंग की आवधिक जांच सुनिश्चित कराई जा रही है।
 
- यात्रियों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से व्यापक प्रचार अभियान चलाकर उन्हें अपने साथ ज्वलनशील सामान लेकर यात्रा नहीं करने पर जागरूक किया जा रहा है।
 
- रेलवे स्टेशनों पर अग्निशामक व्यवस्थाएं की गई हैं, प्रत्येक स्टेशन पर दो ड्राई केमिकल पाउडर टाइप अग्निशामक उपलब्ध कराए गए हैं। सभी स्टेशनों पर सूखी रेत एवं पानी से भरी बाल्टियां रखी रहती हैं।
 
- स्टेशनों पर विभिन्न तरह के अग्निशामक उपकरणों को परिचालित करने के लिए संरक्षा पोस्टर लगाए गए हैं।
 
- स्टेशन मास्टर जैसे प्रथम पंक्ति के स्टाफ को अग्निशामक उपकरण को परिचालित करने का नियमित प्रशिक्षण दिया जाता है।
 
- आग बुझाने के बारे में आवधिक ड्रिल नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं।
 
- रेलवे स्टेशनों पर समीप के फायर ब्रिगेड के टेलीफोन नम्बर उपलब्ध हैं।
 
- ट्रेनों में एवं स्टेशन परिसर में ज्वलनशील/खतरनाक सामानों को लाने/ले जाने के विरूद्ध लगातार अभियान चलाया जाता है।''
 
"ट्रेनों में आग से रोकथाम" विषय पर संरक्षा संगोष्ठी का आयोजन
 
 
दिनांक 16.05.15 को महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे श्री राजीव मिश्र की अध्यक्षता में संरक्षा विभाग द्वारा "ट्रेनों में आग से रोकथाम" विषय पर संरक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

महाप्रबंधक श्री राजीव मिश्र को पुष्पगुच्छ भेंट करते मुख्य संरक्षा अधिकारी श्री एन. के. अम्बिकेश
दीप प्रज्ज्वलित करते हुए महाप्रबंधक श्री राजीव मिश्र साथ में मुख्य संरक्षा अधिकारी श्री एन. के. अम्बिकेश एवं अन्य विभागाध्यक्ष
 

दीप प्रज्ज्वलित करते हुए मुख्य विद्युत इंजीनियर श्री आर. पी. निबारिया

दीप प्रज्ज्वलित करते हुए वरिष्ठ उप महाप्रबंधक श्री प्रभु नारायण राय

दीप प्रज्ज्वलित करते हुए मुख्य यांत्रिक इंजीनियर श्री अनिल शर्मा एवं मुख्य वाणिज्य प्रबंधक श्री ए. सी. लाठे


दीप प्रज्ज्वलित करते हुए वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेकाधिकारी श्री राम चंद्र राय तथा मुख्य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर श्री हरीश कुमार अग्रवाल
संगोष्ठी में महाप्रबंधक श्री राजीव मिश्र एवं अन्य प्रमुख विभागाध्यक्ष


संगोष्ठी में उपस्थित प्रमुख विभागाध्यक्ष, अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी

 
 
 
ट्रेनों में आग से रोकथाम
                                                                                                              
                                                                                    श्री एन. के. अम्बिकेश



दिनांक 16.05.15 को महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे श्री राजीव मिश्र की अध्यक्षता में संरक्षा विभाग द्वारा "ट्रेनों में आग से रोकथाम" विषय पर संरक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर मुख्य संरक्षा अधिकारी श्री एन. के. अम्बिकेश ने अपने संबोधन में कहा-

''रेल दुर्घटनाओं को हम उनकी गंभीरता के आधार पर पांच श्रेणियों में रख सकते हैं। दुर्घटना की सबसे गंभीर श्रेणी आमने-सामने की टक्कर मानी जाती है जबकि ट्रेनों में आग लगने को दूसरे नंबर की गंभीर श्रेणी में रखा गया है। इसी कारण रेलवे... ने ट्रेन में आग को दुर्घटना की गंभीर श्रेणियों में से एक माना है। हालांकि 03.02.2008 के बाद से इस रेलवे पर अग्निकांड की कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। सौभाग्य से इस तरह की दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था। परन्तु अन्य रेलों पर ट्रेनों में आग लगने की रिपोर्ट प्राप्त हुई जोकि काफी दुखदायी रही, ट्रेनों में आग की घटनाओं को कम करने के लिए हमें बचाव के उपाय सुनिश्चित करने चाहिए और सभी संबंधित को बचाव के उपाय से जागरूक कराना चाहिए।

कोच में आग के मुख्य कारणः
 
आग लगने के तीन मुख्य कारण होते हैं। ये आक्सीजन, सामग्री एवं उष्मा अथवा चिंगारी। किसी ट्रेन में आग इन तीन कारणों से लगती है। जो इस प्रकार है-

1. विद्युत तार पर अवमानक इन्सुलेशन के कारण शार्ट सर्किट होना

2. धू्म्रपान करने वालों की लापरवाही

3. चाय या काफी विक्रेताओं द्वारा स्टोव का अवैध प्रयोग

4. और असामाजिक गतिविधियां
 
यद्यपि यात्रियों एवं ठेकेदारों की लापरवाही के कारण आग लगने के बहुत से मामले सामने आए हैं। भारतीय रेलवे हमेशा से कोचों को फायरपु्रफ बनाने के लिए प्रयासरत है, प्रथम प्रयास के रूप में 20 वर्ष से अधिक के लकड़ी वाले कोचों को हटाया गया। भारतीय रेलवे ने फायरपु्रफ सामग्रियों, अग्निशामकों का प्रयोग भी प्रारम्भ कर दिया है और स्मोक एवं फायर डिटेक्शन सिस्टम से ट्रायल किया है। इस रेलवे ने भी फायर पोस्टरों से एवं आनबोर्ड स्टाफ को प्रशिक्षण देते हुए संरक्षा जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया है। इस क्षेत्र में अन्य उपाय या प्रयास के रूप में आपातकालीन निकास खिड़की, फ्यूज बाक्सों का मॉडिफिकेशन एवं आतंरिक संरक्षा जांच हैं। चूंकि इस रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता संरक्षा है, यह विनिश्चय किया गया है कि इस मुद्दे पर केंद्रीकृत तरीके से कार्य किया जाए इसलिए हम स्टाफ और अधिकारियों को शिक्षित करने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।
 
दुर्घटनाएं यूं ही नहीं हो जातीं, उनके पीछे कारण होता है। लोगों के पास या तो बहुत कम जानकारी है या वे अपनी ड्यूटी करते समय नियमों की उपेक्षा करते हैं। यदि दुर्घटना के मूल कारण को ध्यान में रखा जाए और कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण बनाया जाए तो दुर्घटना से बचाव हो सकता है और नुकसान कम होगा।''