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शुक्रवार, 30 जुलाई 2021

मोक्ष प्राप्ति का पूर्वाभास

 

        मोक्ष एक परम आकांक्षा है परन्तु उसके लिये पात्रता भी आवश्यक है।  इस पात्रता की परिभाषा  भी समझनी होगी।  मोक्ष का वास्तविक अर्थ है जन्म और मृत्यु के आवागमन से मुक्ति और परमब्रम्ह में विलीन होना।  यह भी तथ्य है कि एक जैसे तत्व ही एक दूसरे में विलय हो सकते हैं।  ईश्वर यानी बम्ह निर्गुण तथा सम स्थि‍ति में है।  इसका अर्थ है कि वह काम, क्रोध लोभ, मोह और अहंकार मुक्त है।  यदि प्राणी भी उसमें विलीन होना चाहता है तो उसे भी इसी स्थि‍ति में आना पड़ेगा तभी वह मोक्ष का पात्र बनने में सक्षम हो सकेगा।  इसीलिये संसार के प्रत्येक धर्म में यही शि‍क्षा दी गई है कि यदि ईश्वर की प्राप्ति करनी है तो पहले बुराईयों से मुक्ति पानी होगी।

 

           सनातन धर्म में जीवन को व्यवस्थि‍त करने के लिये उसे चार भागों में विभाजित किया गया है। ये हैं- ब्रम्हचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास।  वर्तमान में साठ वर्ष की आयु के बाद मनुष्य का एक प्रकार से वानप्रस्थ आरम्भ हो जाता है।  जीवन के इस पड़ाव पर उसे सांसारिक बुराईयों से दूर होने का प्रयास करना चाहिये।  इसके लिये उसे पतंजलि के अष्टांग योग का सहारा लेना चाहिये।  यदि वह इसके पहले दो कदम अर्थात सत्य, अहिंसा, ब्रम्हचर्य, असते और अपरिग्रह तथा नियम-ईश्वर की उपासना, स्वाध्याय, शौच, तप, सन्तोष और स्वाध्याय को ही अपना ले तो बहुत हितकारी होगा।  इसमें अपरिग्रह से तात्पर्य है आवश्यकता से अधि‍क भंडारण न करना।  असते अर्थात किसी प्रकार की चोरी न करना।  इन दोनों कदमों से ही मनुष्य की मानसिकता बदल जायेगी और परम शान्ति तथा सम स्थि‍ति का अनुभव होगा।  ऐसी अवस्था जिसमें कोई कामना या भय नही रहेगा।  यदि यह अवस्था स्थाई रूप से प्राप्त हो जाती है तो मनुष्य को यह आभास हो जाना चाहिये कि वह मोक्ष का पात्र बन गया है और अब उसे सर्वशक्तिमान स्वयं अपने में विलीन करके परम शान्ति प्रदान करेंगे।  इसी को मोक्ष का आभास भी कहा जाता है।  यही पूर्वाभास मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बनता है।  

सम्मान

 माननीय रेल मंत्री श्री अश्वनी वैष्णव ने ओलंपिक रजत पदक विजेता व भारतीय रेलवे के भारोत्तोलक सुश्री मीरा बाई चानू  को सम्मानित किया।

माननीय रेल मंत्री ने टोकियो ओलम्पिक में शानदार प्रदर्शन के लिए सुश्री चानू को 2 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार व पदोन्नति की घोषणा की।





शनिवार, 17 जुलाई 2021

जीवन मंत्र

 जीवन मंत्र

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      द्वापर युग में एक दिन ब्रह्मा जी और शिव जी श्रीकृष्ण के पास पहुंचे और कहा, 'अब आप अपनी लीला समेटिए और वैकुंठ आ जाएं जो आपका धाम है।'

श्रीकृष्ण के काका के बेटे और परम विद्वान थे उद्धव। जब से श्रीकृष्ण मथुरा आए थे, उद्धव हमेशा उनके साथ ही रहे। श्रीकृष्ण भी उद्धव को बहुत सम्मान देते थे। उद्धव का मानना था कि उन्हें जीवनभर कृष्ण के साथ ही रहना है।

श्रीकृष्ण अवतार का अंतिम समय आ गया तो एक दिन उन्होंने उद्धव से कहा, 'चलो मेरे साथ घूमने के लिए।'

उद्धव बोले, 'हम तो जाते ही हैं घूमने के लिए, लेकिन आज कुछ खास बात है। आप अलग लग रहे हैं।'

श्रीकृष्ण बोले, 'आज घूमने जाएंगे तो फिर लौटकर नहीं आएंगे। उद्धव मेरे देवलोक गमन का समय आ गया है। मैं ये संसार छोड़कर चला जाऊंगा।'

उद्धव ने श्रीकृष्ण का हाथ पकड़ा और कहा, 'ऐसा न कहें। अगर आप ये संसार छोड़कर जा रहे हैं तो मैं भी आपके साथ चलूंगा।'

श्रीकृष्ण बोले, 'क्या तुम मेरे साथ आए थे जो मेरे साथ जाने की बात कर रहे हो?'

उद्धव बहुत समझदार थे, वे श्रीकृष्ण की बात समझ गए। अर्थात जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी जरूर होगी। इस दुनिया में अकेले ही आना पड़ता है और अकेले ही जाना होता है। हमारे संबंध, दुनियादारी अस्थाई है। इसलिए लालच और मोह से बचना चाहिए। खासतौर पर बुढ़ापे में ये मान लेना चाहिए कि अब तक जीवन बहुत अच्छा रहा है। अब जो भी कुछ है, उसे यहीं छोड़कर जाना है। ये बात ध्यान रखेंगे तो अंतिम समय में भी मन शांत रहेगा।

संकलन**

बुधवार, 14 जुलाई 2021

परमात्मा का स्मरण सबसे बड़ी औषधि



    देश और दुनिया पुनः तन, मन और धन का आरोग्य प्राप्त करे, इसीलिए हमारे देश में कोरोना से बचाव के लिए जो दिशा- निर्देश बताए जा रहे हैं, उनका सभी लोग ठीक तरह से पालन करें, यह आज की आवश्यकता है। इन दिनों संयम बरतने को मैं अनुष्ठान कहता हूं। यह तपस्या का पर्व है। इन अनुष्ठानी दिनों में हम दया करें, हम थोड़ी तपस्या करें। अपने आप को सम्यक बनाएं। मिली हुई छूट का दुरुपयोग करके फिर महामारी का और भोग न बनें। अपने मन को धैर्य दें। मन को समझाएं। वह कहीं निराश, हतोत्साहित ना हो जाए। नियंत्रण करें, दया करें,दमन यानी सहन करें। प्रभु ने दिया हो तो दान करें। कोई वस्तु ना दे सके तो भी संवेदना कोई कम दान नहीं है।


    स्वामी शरणानंद जी के मानवता के 11 मूल सिद्धांत हैं। देश-काल का दर्शन करते हुए इस विशेष परिस्थिति में 11 में से 5 सूत्र ले सकते हैं। पहला है, विचार का प्रयोग अपने पर और विश्वास का प्रयोग दूसरों पर अर्थात न्याय अपने लिए और क्षमा दूसरों के लिए। सबल के साथ न्याय होना चाहिए, लेकिन असमर्थ हो क्षमा मिलनी चाहिए। दूसरा सूत्र है, दूसरों के कर्तव्य को अपना अधिकार मत समझो। दूसरों की उदारता को अपना सामर्थ्य मत समझो और दूसरों की निर्मलता को अपना बल मत समझो। तीसरा है, निकटवर्ती जैन समाज की यथाशक्ति क्रियात्मक सेवा करो। इस समय की परिस्थितियों में यह सूत्र बहुत महत्वपूर्ण है। अगर हम 5 व्यंजन खाते हैं तो उसमें से तीन कम करें और जिसके पास कुछ नहीं है उस तक पहुंचाए। 


    चौथा सूत्र यह है कि शरीर को श्रमी बनाएं, मन को संयमी बनाएं, बुद्धि को विवेकवान बनाएं। हृदय अनुरागी बनाएं और अहंकार से मुक्त रखें। पांचवा है, सिक्के से वस्तु महान है, वस्तु से व्यक्ति महान है, व्यक्ति से विवेक महान है और विवेक से सत्य महान है। इस समय का सत्य यही है कि महामारी फैली है। ऐसे में जो भी करें, विवेक के साथ करें। एक-एक कदम विवेकपूर्ण हो। खुद तो स्वस्थ रहें ही, साथ ही किसी अन्य के अस्वस्थ हो जाने का कारण न बन जाएं, इसका विशेष ध्यान रखें।


मंगलवार, 13 जुलाई 2021

ज्ञानी कौन

   परमात्मा ने मनुष्य को 10 इंद्रियां उपहार में दी हैं। इन के माध्यम से वह सृष्टि से संपर्क स्थापित करने योग्य होता है। इनमें पांच ज्ञानेंद्रियां हैं और पांच कर्म इंद्रियां। पांच ज्ञानेंद्रियों में कर्ण, नेत्र, त्वचा, जिह्वा और नासिका हैं। सुनकर, देखकर, स्पर्श द्वारा, स्वाद और सुगंध द्वारा ही किसी भी वस्तु, व्यक्ति, स्थान अथवा अवस्था का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञानेंद्रियां परमात्मा की सत्ता और गुणों का ज्ञान अर्जन करने में सहायक हैं। ये मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती भी हैं।

    माया के प्रभाव में मनुष्य इंद्रियों के वास्तविक उद्देश्य को उपेक्षित कर देता है। जिन इंद्रियों से उसे परमात्मा का ज्ञान प्राप्त कर उसकी आराधना करनी थी उन्हें वह संसार के रसरंग में लगा देता है। इंद्रियां जब वासनाओं के नियंत्रण में चली जाती हैं, तब परमात्मा विस्मित हो जाता है। काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार आगे आ जाते हैं। जो नाशवान संसार है, उससे मोह हो जाता है। जो परमात्मा ने दिया है, उसे अपना मान अहंकार हो जाता है। मृत्यु जो जीवन मिलने के पहले ही सुनिश्चित हो गई है, उसे भूल मनुष्य सदियों की योजनाओं में व्यस्त हो जाता है। सुख जो परमात्मा से मिलना है, आनंद जो परमात्मा की भक्ति में है, उसे सांसारिक पदार्थों और सांसारिक संबंधों के घने में ढक लेते हैं। माया के छलावे में वह उसे सुख समझ लेता है, जो अंततः दुख देने वाला है। इस तरह मनुष्य ज्ञान इंद्रियों के दुरुपयोग का अपराधी बनता है। 

   परमात्मा के गुणों और सामर्थ्य ज्ञान ही मनुष्य को जीवन और संसार का सच जानने योग्य बनता है। यह सच जाने बिना जीवन तो व्यतीत हो जाएगा, किंतु एक अंधकार में सुरंग की भ्रमित यात्रा की तरह। मानव जीवन के दुर्लभ अवसर को अज्ञान में गंवा देना परमात्मा से द्रोह है । जीवन पथ को प्रकाशित करने के लिए ज्ञान का प्रकाश चाहिए। यह ज्ञान इंद्रियों के दुरुपयोग से संभव है । तभी जीवन की सार्थकता भी संभव है।


गुरुवार, 8 जुलाई 2021

जानें, अपने नए रेलमंत्री जी को


राजस्थान के जोधपुर में पैदा हुए 51 वर्षीय 
अश्विनी वैष्णव 1994 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी रहे हैं। आईएएस अधिकारी रहते हुए उन्होंने 15 सालों तक कई अहम जिम्मेदारियां संभालीं। अश्विनी वैष्णव को सबसे ज्यादा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप यानी पीपीपी फ्रेमवर्क में उनके अहम योगदान के लिए ही जाना जाता है।


आईआईटी ग्रैजुएट वैष्णव ने साल 2008 में नौकरी छोड़ दी और वह अमेरिका के वॉर्टन यूनिवर्सिटी चले गए जहां से उन्होंने एमबीए की पढ़ाई की। कई जानी-मानी कंपनियों में काम करने के बाद वह देश वापस लौटे और गुजरात में अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट खोली। इसके बाद उन्होंने जनरल इलेक्ट्रिक और सिमेन्स जैसी कंपनियों में भी शीर्ष पदों पर काम किया। 

मंगलवार, 6 जुलाई 2021

ई-ऑफिस के लिए कवच ऐप डाउन कैसे करें

इस वीडियो में कवच डाउनलोड करने की पूरी प्रक्रिया बताई गई है। कृपया अपने डेस्कटॉप में कवच डाउनलोड कर लें। इसके बाद ही ईमेल डायराइजेशन की सुविधा का लाभ उठा पाएंगे।


परिचालन विभाग की राजभाषा समीक्षा बैठक (29.06.2021)

दिनांक 29.06.2021 को पूर्वोत्तर रेलवे के प्रमुख मुख्य परिचालन प्रबंधक श्री अनिल कुमार सिंह की अध्यक्षता में परिचालन विभाग की कैलेण्डर वर्ष 2021 की दूसरी राजभाषा समीक्षा बैठक वर्चुअल माध्यम से आयोजित हुई। बैठक में अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि राजभाषा समीक्षा बैठक में सिर्फ औपचारिकता नहीं हो बल्कि कार्यालय कार्य में आने वाली समस्याओं का निराकरण भी हो। 


बैठक को संबोधित करते हुए मुख्य मालभाड़ा परिवहन प्रबंधक श्री बिजय कुमार ने कहा कि मैनुअल फाइल का चलन बिलकुल बंद होना चाहिए। सभी कर्मचारी ई-ऑफिस के माध्यम से ही फाइलों का मूवमेंट करें। किसी दस्तावेज का स्कैन करने के लिए मोबाइल के स्कैनर का प्रयोग भी किया जा सकता है। नोट हिंदी में ही टाइप करें। ई-मेल डायराइजेशन के लिए कवच ऐप जरूर डाउनलोड करे।


मुख्य यात्री परिवहन प्रबंधक श्री आलोक कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि हम "क" क्षेत्र में रहने के कारण अपना सभी सरकारी काम हिंदी में कर रहे हैं। सीओआईएस तथा एफओआईएस जैसे कुछ क्षेत्र हैं, जिनमें अभी पूरी तरह से हिंदी में काम नहीं हो पा रहा है।

इससे पूर्व बैठक में शामिल सभी अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकीय कर्मचारियों का स्वागत करते हुए परिचालन विभाग के राजभाषा संपर्क अधिकारी एवं उप मुख्य परिचालन प्रबंधक/माल श्री सुमित कुमार ने कहा कि परिचालन विभाग में अधिकांश कार्य हिंदी में किए जा रहे हैं। हम राजभाषा विषयक वार्षिक कार्यक्रम 2020-21 में दिए गए निर्धारित लक्ष्य का अनुपालन कर रहे हैं। 


श्री श्याम बाबू शर्मा, वरिष्ठ अनुवादक ने ई-ऑफिस की कार्यप्रणाली पर लाइव डेमो दिया। इसके साथ ही पिछली बैठक के निर्णयों और निर्धारित मदों के अनुपालन स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी।


बैठक में धन्यवाद ज्ञापन प्रमुपरिप्र के सचिव श्री एस. के. कनेनौजिया ने किया। इस अवसर पर परिचालन विभाग के सभी अधिकारी एवं सभी अनुभागों के कार्यालय अधीक्षक उपस्थित रहे।