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गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

राजभाषा समीक्षा बैठक- 29.12.16

दि. 29.12.16 को पूर्वोत्तर रेलवे के उप मुख्य परिचालन प्रबंधक श्री जे. पी. सिंह की अध्यक्षता में परिचालन विभाग की कैलेण्डर वर्ष 2016 की चौथी राजभाषा समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक में अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा कि महाप्रबंधक महोदय के निर्देशानुसार परिचालन विभाग में सभी कंप्यूटरों पर एक समान फाँट पर काम करने के उद्देश्य से सभी कंप्यूटरों में यूनिकोड सक्रिय कराकर हिंदी यूनिकोड फाँट में ही काम किया जाए। उन्होंने कहा कि परिचालन विभाग में अधिकांश कार्य हिंदी में किया जा रहा है। इसे बनाए रखा जाए। कुल मिलाकर परिचालन विभाग में राजभाषा हिंदी के प्रयोग की स्थिति सुखद है।


इस समीक्षा बैठक का संचालन करते हुए वरिष्ठ अनुवादक श्री श्याम बाबू शर्मा ने महाप्रबंधक महोदय की अध्यक्षता में दिनांक 27.12.16 को संपन्न क्षेत्रीय रेलवे राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक में लिए गए निर्णयों पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में धन्यवाद ज्ञापन सहायक परिचालन प्रबंधक श्री एस. के. कन्नौजिया ने किया। इस अवसर पर परिचालन विभाग के सभी अधिकारी एवं सभी अनुभागों के कार्यालय अधीक्षक उपस्थित रहे. 












विभाग से उपस्थित रहे।

तदवीर और तकदीर

मेरे पिताजी मुझसे कहा करते थे कि तदबीर और तकदीर जब दोनों साथ काम करते हैं तभी व्यक्ति सफलता की सीढ़ी चढ़ता है. सिर्फ एक से काम नहीं बनता.इसका उदाहरण उन्होंने बड़ा सटीक दिया था. जिससे कम से कम मेरे दिमाग़ के सारे जाले तो साफ़ हो ही गए।
उन्होंने बैंक के लॉकर के उदाहरण दिया था. जिसकी दो चाभियाँ होती हैं. एक आप के पास होती है और एक मैनेजर के पास.
आप के पास जो चाभी है, वह है परिश्रम और मैनेजर के पास जो चाभी है, वह है भाग्य.
जब तक दोनों नहीं लगतीं ताला नहीं खुल सकता.
आप कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान है.
आपको अपनी चाभी लगाते रहना चाहिये. पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाभी लगा दे.
कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्यवाली चाभी लगा रहा हो और हम परिश्रम वाली चाभी न लगा पाएं और ताला खुलने से रह जाए.
मैंने अपने पिताजी की बात गांठ में बांध ली है और अपनी चाभी लॉकर में लगाए रहता हूं. भगवान भी मुझपर मेहरवान रहता है और वह भी यथा-अवसर अपनी चाभी लगाकर मेरी सफलता का मार्गप्रशस्त करता रहता हैं.
मैंने तो अपने पिताजी की सीख गांठ बांध ली है. यदि आपको भी अच्छी लगे तो अपना सकते हैं.

बुधवार, 28 दिसंबर 2016

दिनांक 30.09.16 को मुख्य मालभाड़ा परिवहन प्रबंधक की अध्यक्षता में परिचालन विभाग की राजभाषा समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया।
वैठक में स्वागत संबोधन उप मुपरिप्र/माल सह राजभाषा संपर्क अधिकारी श्री जे. पी. सिंह ने किया। बैठक का संचालन वरिष्ठ अनुवादक श्री श्याम बाबू शर्मा ने किया। इस अवसर पर परिचालन विभाग के सभी अधिकारी एवं पर्यवेक्षकीय कर्मचारी उपस्थित रह।





गुरुवार, 15 सितंबर 2016

लखनऊ

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राष्ट्र भाषा हिंदी पर महापुरुषों के उत्कृष्ट विचार |
(ƒ) "अंग्रेजी सीखकर जिन्होंने विशिष्टता प्राप्त की है, सर्वसाधारण के साथ उनके मत का मेल नहीं होता। हमारे    देश में सबसे बढ़कर जातिभेद वही है, श्रेणियों में परस्पर अस्पृश्यता इसी का नाम है।" - रवीन्द्रनाथ ठाकुर।
() "इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित-अशिक्षित, नागरिक और ग्रामीण सभी हिंदी को समझते हैं।" 
- राहुल सांकृत्यायन।
() " हिंदी चिरकाल से ऐसी भाषा रही है जिसने मात्र विदेशी होने के कारण किसी शब्द का बहिष्कार नहीं किया।"
 –  डॉ. राजेंद्रप्रसाद।
() " हिंदी भाषा की उन्नति का अर्थ है राष्ट्र और जाति की उन्नति।" - रामवृक्ष बेनीपुरी।
() " हिंदी ने राष्ट्रभाषा के पद पर सिंहानसारूढ़ होने पर अपने ऊपर एक गौरवमय एवं गुरुतर उत्तरदायित्व लिया है।" - गोविंदबल्लभ पंत।
(ˆ) " मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत हो, यह मैं नहीं सह सकता।" - विनोबा भावे।
()  " है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी।" 
- मैथिलीशरण गुप्त।
(Š) "हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।" - स्वामी दयानंद।
(ƒå) " संस्कृत को छोड़कर आज भी किसी भी भारतीय भाषा का वाङ्मय विस्तार या मौलिकता में हिन्दी के आगे नहीं जाता।" - डॉ. सम्पूर्णानन्द।
() "समस्त भारतीय भाषाओं के लिए यदि कोई एक लिपि आवश्यक हो तो वह देवनागरी ही हो सकती है।" 
- (जस्टिस) कृष्णस्वामी अय्यर।
(ƒƒ) " हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने में प्रांतीय भाषाओं को हानि नहीं वरन् लाभ होगा।" - अनंतशयनम् आयंगार।
(ƒ„) " हिंदी जैसी सरल भाषा दूसरी नहीं है।" - मौलाना हसरत मोहानी।
(ƒ…) " जीवन के छोटे से छोटे क्षेत्र में हिंदी अपना दायित्व निभाने में समर्थ है।" – राजर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन।
(ƒ†) " समस्त आर्यावर्त या ठेठ हिंदुस्तान की राष्ट्र तथा शिष्ट भाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है।" -सर जार्ज ग्रियर्सन।


गुरुवार, 28 जुलाई 2016

भारतीय भाषाओं के संदर्भ में

'ध्वन्यात्मक' या 'लिप्यंतरण' कुंजीपटल
-श्याम बाबू शर्मा-
सोशल मीडिया पर मेरे कई मित्र भारत के विभिन्न राज्यों से संबंधित हैं और वे विभिन्न भाषा-भाषी हैं. उनसे मेरा संपर्क बना रहता है. मुझे उन्हें उनकी लिपि में संदेश भेजना ज्यादा अच्छा लगता है. इससे आत्मीयता भी बढ़ती है. स्पष्ट कर दूं कि मैं देवनागरी और रोमन छोड़कर अन्य लिपियों का विशेष जानकार नहीं हूं. फिर उन्हें उनकी लिपि में संदेश कैसे भेज पाता हूं? यह सब मैं 'लिप्यंतरण' के माध्यम से कर पाता हूं. यानी मैं रोमन लिपि में टाइप करके उस विशेष लिपि में परिणाम प्राप्त करता हूं. वैसे मेरे कई मित्र इसे 'ध्वन्यात्मक' कहते हैं. आइए इस पर थोड़ा विस्तार से चर्चा करते हैं.

आमतौर पर हम रोमन लिपि में लिखकर देवनागरी पाठ प्राप्त करने के लिए एक (आभासी) कुंजीपटल का उपयोग करते हैं. परन्तु सवाल यह उठता है कि इस कुंजीपटल को आखिर क्या बुलाया जाना चाहिए- 'ध्वन्यात्मक' या 'लिप्यंतरण’?  वैसे अक्सर लोग इसे 'ध्वन्यात्मक' ही कहते हैं. क्या वास्तव में ऐसा है?

इस मुद्दे को उठाने के पीछे मकसद यह है कि कई विशेषज्ञ मित्रगण इन्स्क्रिप्ट की-बोर्ड, जो भारतीय भाषाओं का मानक कुंजीपटल है, को ही 'ध्वन्यात्मक की-बोर्ड' के रूप में बुलाते हैं. उनका कहना काफी हद तक ठीक ही है, क्योंकि 'ध्वन्यात्मक' शब्द उस ध्वनि शास्त्र का प्रतिनिधित्व करता है जिस तरह से हम शब्दों का उच्चारण करते हैं. इसे इस रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है कि विभिन्न प्रतीकों के समूह, जिसमें हरेक प्रतीक एक विशेष ध्वनि निकालता है, इनके साथ मिलकर वाक् की ध्वनि बनती है.

इन्स्क्रिप्ट की-बोर्ड वास्तव में 'इंडिक ध्वन्यात्मक की-बोर्ड' है, क्योंकि यह हमें बिल्कुल उसी तरह से भारतीय भाषाओं में टाइप करने देता है जैसा कि हम किसी शब्द का उच्चारण करते हैं. उदाहरण के लिए तमिल टाइप करने के लिए हम देवनागरी इन्स्क्रिप्ट में त म ि ल टाइप करते हैं. यानी हम देवनागरी वर्णों को उसी तरह टाइप करते हैं जैसा कि हम उन्हें बोलने में करते हैं और इसीलिए भारतीय भाषाओं की दृष्टि से इंस्क्रिप्ट की-बोर्ड वास्तव में ध्वन्यात्मक कुंजीपटल है.

रोमन टाइपिंग आधारित ध्वन्यात्मक कुंजीपटल वास्तव में लिप्यंतरण कुंजीपटल है. यहाँ हम रोमन लिपि में ‘tamil’ टाइप करते हैं, और हमें परिणाम देवनागरी में तमिल मिलता है. इसमें एक बात गौर करने की है कि यहाँ हम हिंदी उच्चारण से मेल करने के लिए रोमन लिपि में टाइप करते हैं न कि अंग्रेजी वर्तनी के अनुसार. इसे निम्न उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता है-

यदि हम रोमन ध्वन्यात्मक विधि से india  टाइप करते हैं तो हमें परिणाम इंदिअ मिलता है. अतः सही शब्द इंडियाप्राप्त करने के लिए हमें inDiyaa टाइप करना होगा. वास्तव में इसे लिप्यंतरण कुंजीपटल कहना ज्यादा उचित होगा.

आशा है कि अब आपको स्पष्ट हो गया होगा कि हिंदी की अपनी स्वयं की ध्वन्यात्मक कुंजीपटल होती है यानी हम जैसा बोलते हैं वैसा ही टाइप करते हैं, जो इन्स्क्रिप्ट कहलाती है. जबकि अंग्रेजी का ध्वन्यात्मक कुंजीपटल, जो वास्तव में लिप्यांतरण कुंजीपटल होता है, इसके द्वारा आप भारतीय भाषाओं को उच्चारण करके अंग्रेजी की वर्तनी टाइप करके भारतीय भाषाओं के शब्द प्राप्त कर सकते हैं.

इस प्रकार अब उन उपयोगकर्ताओं को ध्वन्यात्मक या लिप्यंतरण शब्द भ्रमित नहीं करेगा. जो अब तक ट्रांसलिटरेशन की-बोर्ड को ध्वन्यात्मक के रूप में संबोधित करते रहे हैं. वैसे, एप्पल इसे देवनागरी क्वार्टीकहता है. जबकि मेरे अनुसार ट्रांसलिटरेशन को रोमनागरी कहना ज्यादा उचित रहेगा. यानी हम रोमन वर्तनी में टाइप करके देवनागरी शब्द प्राप्त करते है. सोशल मीडिया के मेरे कई मित्र हिंदी में लिखने के लिए इसी रोमनागरी का प्रयोग करते हैं. 

वरिष्ठ अनुवादक
राजभाषा विभाग/गोरखपुर