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मंगलवार, 23 मई 2023

गीत

 नफरत



                   भानु प्रकाश नारायण 

 लो आ  गया मैं तुमको मनाने चला हूं,

तेरे दिल की दुनिया बसाने चला हूं

हवाओं से कह दो पैग़ाम दिल का 

उमर धड़कनों की बढ़ाने चला हूं।।

याद संग होगी बीते दिनों की 

सुबह का सूरज उगाने चला हूं।।

अंधेरों का क्या बस पल भर के मेहमां

किरणें अब नयी  खिलाने चला हूं।।

कोई मुझसे रूठे क्यूं गुलशन में 

ख़ुदा को ही अब मैं मनाने चला हूं।।

बग़ावत नहीं है मुहब्बत है ये तो

नफ़रत दिलों से मिटाने चला हूं।।

अल्फ़ाज़ों को अब नया अर्थ दे कर

हर ग़म में भी मुस्कुराने चला हूं।।

सरगोशियां जग में होती रहेंगी

इंसानियत का दीपक जलाने चला हूं।।

लौ ज़िंदगी की बुझने से पहले

नया कोई श्रृंगार करने से पहले

जीवन की मधुशाला बेरंग न हो

नया गीत अब गुनगुनाने चला हूं।।

बुधवार, 17 मई 2023

व्यवहार

 व्यवहार


संप्रति संसार में व्यक्ति पर बदले की भावना हावी है। इसका सीधा प्रभाव उसके जीवन में प्रतिबिंबित होता है। प्रायः देखा गया है कि लोग अक्सर खुद को सही साबित करने के लिए सब कुछ गलत कर देते हैं। कभी-कभी तो कुछ लोग प्रतिशोध की भावना में स्वयं को उपहास का पात्र तक बना लेते हैं। उसके बाद लज्जा का शिकार होते हैं और अपने जीवन को अन्य लोगों से दूर करने की कोशिश करने लगते हैं। ऐसे में उचित यही होगा कि स्वयं को प्रतिशोध की अग्नि में झोंकने से पहले अंतस में झांककर यह प्रश्न अवश्य करें कि इससे क्या प्राप्त होने वाला है? इसका उत्तर आपको कई असहज स्थितियों से बचा सकता है। इस स्थिति में एस गिलबर्ट की यह सलाह बहुत उपयोगी प्रतीत होती है कि 'चीजें कभी-कभी ही वैसी होती हैं. जैसी दिखती हैं, मलाई से उतरा दूध मक्खन होने का भ्रम उत्पन्न करता है । '


बदले की भावना से कोई लाभ नहीं होता। उलटे यह व्यक्ति को भीतर ही भीतर घुन की तरह खाने लगती है। प्रतिशोध की इस भावना के वशीभूत होकर हम ऐसे अप्रिय वचन भी बोल जाते हैं, जिनके चलते हमारे अपने भी पराये हो जाते हैं। हमारे कटु वचनों से हमारे ही प्रियजन दुखी और खुद को छोटा महसूस करते हैं। किसी को दुखी करके आप कैसे खुश रह सकते हैं। आखिर हम जो देते हैं, वही तो लौटकर हमारे पास वापस आता हैइसलिए अपने व्यवहार में किसी कृत्रिमता के बजाय वास्तविकता को वरीयता देनी चाहिए।


किसी मनुष्य की पहचान इससे नहीं होती कि वह अपने से बड़ी हैसियत वालों से कैसा व्यवहार करता है, बल्कि इससे होती है कि वह अपने से छोटी हैसियत वालों के साथ कितना अच्छा व्यवहार करता है। साथ ही, यह भी स्मरण रहे कि जीवन में अधिकांश लोग दूसरों के साथ अच्छा और बुरा दोनों प्रकार का व्यवहार करते हैं, लेकिन एक अच्छा व्यक्ति सदैव अच्छा व्यवहार कर सबका प्रिय बनने में सफल होता है।