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शनिवार, 17 जुलाई 2021

जीवन मंत्र

 जीवन मंत्र

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      द्वापर युग में एक दिन ब्रह्मा जी और शिव जी श्रीकृष्ण के पास पहुंचे और कहा, 'अब आप अपनी लीला समेटिए और वैकुंठ आ जाएं जो आपका धाम है।'

श्रीकृष्ण के काका के बेटे और परम विद्वान थे उद्धव। जब से श्रीकृष्ण मथुरा आए थे, उद्धव हमेशा उनके साथ ही रहे। श्रीकृष्ण भी उद्धव को बहुत सम्मान देते थे। उद्धव का मानना था कि उन्हें जीवनभर कृष्ण के साथ ही रहना है।

श्रीकृष्ण अवतार का अंतिम समय आ गया तो एक दिन उन्होंने उद्धव से कहा, 'चलो मेरे साथ घूमने के लिए।'

उद्धव बोले, 'हम तो जाते ही हैं घूमने के लिए, लेकिन आज कुछ खास बात है। आप अलग लग रहे हैं।'

श्रीकृष्ण बोले, 'आज घूमने जाएंगे तो फिर लौटकर नहीं आएंगे। उद्धव मेरे देवलोक गमन का समय आ गया है। मैं ये संसार छोड़कर चला जाऊंगा।'

उद्धव ने श्रीकृष्ण का हाथ पकड़ा और कहा, 'ऐसा न कहें। अगर आप ये संसार छोड़कर जा रहे हैं तो मैं भी आपके साथ चलूंगा।'

श्रीकृष्ण बोले, 'क्या तुम मेरे साथ आए थे जो मेरे साथ जाने की बात कर रहे हो?'

उद्धव बहुत समझदार थे, वे श्रीकृष्ण की बात समझ गए। अर्थात जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी जरूर होगी। इस दुनिया में अकेले ही आना पड़ता है और अकेले ही जाना होता है। हमारे संबंध, दुनियादारी अस्थाई है। इसलिए लालच और मोह से बचना चाहिए। खासतौर पर बुढ़ापे में ये मान लेना चाहिए कि अब तक जीवन बहुत अच्छा रहा है। अब जो भी कुछ है, उसे यहीं छोड़कर जाना है। ये बात ध्यान रखेंगे तो अंतिम समय में भी मन शांत रहेगा।

संकलन**

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