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सोमवार, 25 मई 2015

ट्रेनों में आग से रोकथाम
                                                                                                              
                                                                                    श्री एन. के. अम्बिकेश



दिनांक 16.05.15 को महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर रेलवे श्री राजीव मिश्र की अध्यक्षता में संरक्षा विभाग द्वारा "ट्रेनों में आग से रोकथाम" विषय पर संरक्षा संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

इस अवसर पर मुख्य संरक्षा अधिकारी श्री एन. के. अम्बिकेश ने अपने संबोधन में कहा-

''रेल दुर्घटनाओं को हम उनकी गंभीरता के आधार पर पांच श्रेणियों में रख सकते हैं। दुर्घटना की सबसे गंभीर श्रेणी आमने-सामने की टक्कर मानी जाती है जबकि ट्रेनों में आग लगने को दूसरे नंबर की गंभीर श्रेणी में रखा गया है। इसी कारण रेलवे... ने ट्रेन में आग को दुर्घटना की गंभीर श्रेणियों में से एक माना है। हालांकि 03.02.2008 के बाद से इस रेलवे पर अग्निकांड की कोई रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। सौभाग्य से इस तरह की दुर्घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था। परन्तु अन्य रेलों पर ट्रेनों में आग लगने की रिपोर्ट प्राप्त हुई जोकि काफी दुखदायी रही, ट्रेनों में आग की घटनाओं को कम करने के लिए हमें बचाव के उपाय सुनिश्चित करने चाहिए और सभी संबंधित को बचाव के उपाय से जागरूक कराना चाहिए।

कोच में आग के मुख्य कारणः
 
आग लगने के तीन मुख्य कारण होते हैं। ये आक्सीजन, सामग्री एवं उष्मा अथवा चिंगारी। किसी ट्रेन में आग इन तीन कारणों से लगती है। जो इस प्रकार है-

1. विद्युत तार पर अवमानक इन्सुलेशन के कारण शार्ट सर्किट होना

2. धू्म्रपान करने वालों की लापरवाही

3. चाय या काफी विक्रेताओं द्वारा स्टोव का अवैध प्रयोग

4. और असामाजिक गतिविधियां
 
यद्यपि यात्रियों एवं ठेकेदारों की लापरवाही के कारण आग लगने के बहुत से मामले सामने आए हैं। भारतीय रेलवे हमेशा से कोचों को फायरपु्रफ बनाने के लिए प्रयासरत है, प्रथम प्रयास के रूप में 20 वर्ष से अधिक के लकड़ी वाले कोचों को हटाया गया। भारतीय रेलवे ने फायरपु्रफ सामग्रियों, अग्निशामकों का प्रयोग भी प्रारम्भ कर दिया है और स्मोक एवं फायर डिटेक्शन सिस्टम से ट्रायल किया है। इस रेलवे ने भी फायर पोस्टरों से एवं आनबोर्ड स्टाफ को प्रशिक्षण देते हुए संरक्षा जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया है। इस क्षेत्र में अन्य उपाय या प्रयास के रूप में आपातकालीन निकास खिड़की, फ्यूज बाक्सों का मॉडिफिकेशन एवं आतंरिक संरक्षा जांच हैं। चूंकि इस रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता संरक्षा है, यह विनिश्चय किया गया है कि इस मुद्दे पर केंद्रीकृत तरीके से कार्य किया जाए इसलिए हम स्टाफ और अधिकारियों को शिक्षित करने पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।
 
दुर्घटनाएं यूं ही नहीं हो जातीं, उनके पीछे कारण होता है। लोगों के पास या तो बहुत कम जानकारी है या वे अपनी ड्यूटी करते समय नियमों की उपेक्षा करते हैं। यदि दुर्घटना के मूल कारण को ध्यान में रखा जाए और कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण बनाया जाए तो दुर्घटना से बचाव हो सकता है और नुकसान कम होगा।''

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