ज्ञान-अज्ञान
ज्ञान की शक्ति से ही मनुष्य अनंत सामर्थ्यवान
है। जिसके पास जितना अधिक ज्ञान है, वह उतना ही
अधिक शक्ति संपन्न है। सच्चा ज्ञान व्यक्ति को विनम्र और विराट व्यक्तित्व
वाला बनाता है। इसके विपरीत अज्ञानता हठधर्मिता की जननी है। अज्ञानी व्यक्ति आत्मकेन्द्रित
और क्षुद्र सोच वाला होता है। अज्ञान मन की रात्रि है, लेकिन
वह रात्रि जिसमे न तो चांद है और न तारे। वस्तुत: अज्ञानता जीवन की वह अंधकार
पूर्ण स्थिति है जिसमें जीवन की राह दिखाई नही पड्ती । वहां गहन रात्रि में होने
वाला चांद तारो का धुधला प्रकाश भी उपस्थित नही रहता । इस गहन अंधकार के बीच सही
राह को देखना और उस पर जाना बहुत ही कठिन है। अंधकार को अज्ञान का प्रतीक माना गया
है। इसके विपरीत प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है। जैसे प्रकाश में सत्य उद्घाटित होता
है, वैसे ही ज्ञान के उदय से वास्तविक-अवास्तविक, सत्य-असत्य , श्रेयस और
प्रेयस के बीच अंतर स्पष्ट रूप से दिखाई पड्ता है।
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