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बुधवार, 2 दिसंबर 2020

सफलता का मार्ग

 सफलता का मार्ग 


     कुछ अनूठा करने के लिए तीन बातें बहुत ज़रूरी है - धारणाओं का परिवर्तन, चिंतन और प्रयोग। आदमी की ग़लत अवधारणा एवं पूर्वाग्रहों ने समाज के कई वर्गों में बाँट दिया और इससे विद्वेष, घृणा और संघर्ष पैदा हुए। इसी तरह व्यावसायिक एवं परिवार को लेकर जो अवधारणाएँ बनी हुई हैं, उन्हें बदलना भी बहुत ज़रूरी है‌। जैसा कि जोहान वान गोथे ने कहा था- 'जिस पल कोई व्यक्ति ख़ुद को पूर्णतः समर्पित कर देता है, ईश्वर भी उसके साथ चलता है। जैसे ही आप अपने मस्तिष्क में नए विचार डालते हैं, उसी पल से ब्रह्माण्डीय शक्तियां अनुकूल रूप से काम करने लगती है। बड़ी सफलता हासिल करने के लिए बड़े लक्ष्य बनाने पड़ते हैं। भरसक कोशिश करनी होती हैं। केवल बातें करने से कुछ हाथ नहीं आता। चित्रकार पाब्लो पिकासो के अनुसार, 'योजना की गाड़ी पर सवार होकर ही लक्ष्य तक पहुँचा जा सकता है। हमें अपनी योजना पर भरोसा रखना होता है और उन पर काम भी करना होता है। सफलता का कोई और रास्ता ही नहीं है।'

    अगर शान्ति और सुख से जीना है तो धारणाओं का परिवर्तन, सत्य विषयक चिंतन और प्रयोग- इन तीनों का आलंबन लेना ही होगा। जिसके अलावा कोई और चारा नहीं। कोरी चर्चा से कुछ नहीं होगा। चिंतन की भूमिका पर उतारकर उसे प्रयोगात्मक रूप देना पड़ेगा। अगर ऐसा होता है तो विश्वास किया जा सकता है कि हर तरह की शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्या का समाधान ज़रूर होगा। जैसा कि रूमी ने कहा है- 'कोई दर्पण फिर कभी लोहा नहीं बना, कोई रोटी फिर कभी गेहूं नहीं बनी, कोई पका हुआ अंगूर फिर कभी खट्टा फल नहीं बना। अपने आपको परिपक्व बनाएं और परिवर्तन के बुरे नतीजों के बारे में आशंकित न हो। उजाला बनें।' इसलिए ख़ुद बदलें, ख़ुद रोशनी बनें और दूसरों को भी प्रकाशित करें। जो मान्यताएं मन-मस्तिष्क में जड़ जमाए बैठी हुई हैं, उनका परिष्कार करना चाहिए, और उन्हें बदलना चाहिए।


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