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मंगलवार, 28 जून 2022

शांति के प्रहरी

 



शांति के प्रहरी


    हम स्वयं शांति के सर्वश्रेष्ठ प्रहरी हैं। हमें कोई दूसरा व्यक्ति या वस्तु या स्थान शांति दे सकता है, यह एक काल्पनिक विचार है। हम स्वयं शांति से रह सकते हैं और दूसरों को भी शांतिपूर्वक रख सकते हैं। शांति एक मानवीय गुण तो है ही, लेकिन यह आत्मिक शक्ति है। शांति सभी सुखों की मूल है। इससे सभी वैभव एवं ऐश्वर्य की पूर्ति संभव है। शांति द्वारा सभी दुखों का शमन किया जा सकता है। इससे हर रोग का निदान होता है। शांति का माध्यम सभी समस्याओं का समाधान तैयार करता है। शांति ही देश का निर्माण करती है, वहीं अशांति से देश का पतन आरंभ होता है। शांति और अशांति के बीच समाज, समुदाय, वर्ग, कौम, जाति और संस्थाएं गतिहीन हो जाती हैं।

    देश की उन्नति, विकास और पुनर्निर्माण के लिए शांति का वातावरण अनिवार्य है। शांति एक शब्द मात्र नहीं है। शांति को मन मंदिर में बसाने वाले लोग देव तुल्य होते हैं। इसलिए स्वयं भी शांति के प्रहरी बनिए और दूसरों को भी शांति दूत बनाइए। यही संसार के मंगल का भेद है। शांति से बड़ी कोई दौलत नहीं है। परिवार में शांति एक वट वृक्ष की तरह है, जिसकी छाया में आनंद की अनुभूति पाई जा सकती है। अशांति कालांतर में अग्नि के समान जीवन के हर अंग को भस्म कर देती है। मानवता का मूल इसी शांति के गर्भ में स्थिर है। यदि जीवन को सुख और वैभव से संपन्न करना हो तो निश्चित ही शांति की पूजा करनी होगी। देश में जन सामान्य को शांति के सूत्र अपनाने चाहिए। सावधानी के साथ प्रेम का व्यवहार शांति के मार्ग को निष्कंटक करेगा।

    व्यक्तियों, समूहों और देशों में भी आपसी कटुता की भावना स्थायी शांति के लिए बाधक है। सद्भाव . की कसौटी तथा विवेक की तराजू से विचारों का पारस्परिक व्यवहार बहुत सिद्ध प्रयोग है। शांति का वातावरण, सबसे पहली सीढ़ी है, जो इस जीवन को सफल बनाने में रामबाण की तरह उपयोगी है। शांति ही जीवन को समृद्ध भी बनाती है।

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