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मंगलवार, 3 फ़रवरी 2015

रक्षा कवच
टक्कर रोधी यंत्र
                     - भानु प्रकाश नारायण 

आज भारतीय रेल अपने शानदार प्रगति के पथ पर कई बेहतरीन उपलब्धियां हासिल कर रहा है।
      
हाल के सबसे महत्व के कदमो में भारतीय रेल जहां यात्री सेवाओं और सुविधाओं का विस्तार कर रहा है वही 9 मार्गो पर हाई स्पीड ट्रेने चलाने की दिशा में भी काम आगे बढ़ रहा है। इसकी गति 160 से 200 किमी प्रतिघण्टा होगी। बढ़ती हुई उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए एवं यात्रियों को अच्छी से अच्छी सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से अहमदाबाद से मुम्बई के बीच बुलेट ट्रेन भी चलाने के प्रयास की चर्चा भी जोरो पर है।
       
भारतीय रेल प्रधान परिवहन व्यवस्था के साथ ही अर्थतंत्र की रीढ़ भी है। यह न केवल लोहा, कोयला, खाद्यान्न एवं अन्य जीवनोपार्जन वस्तुओं को ढोने का सबसे सस्ता एवं सुलभ साधन है, बल्कि यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थानों तक सुरक्षित यात्रा एवं करोड़ो दैनिक यात्रियों को उनके कार्यस्थल पर पहुंचने का सर्वोत्तम साधन भी है।
       
पर इतने उपयोगी एवं सर्वमान्य यातायात के प्रमुख साधन में होने वाली दुर्घटनायें न केवल आर्थिक क्षतिे पहुंचाती है बल्कि जन-जन के बीच सुरक्षित यात्रा के जन भावनाओं को भी विचलित करती है।
      
जहां सबसे अधिक दुर्घटनायें अवपथन के कारण घटित होती है, वही सबसे अधिक मौतें गाड़ियों के आपसी टक्कर से होती है। इस प्रकार के टक्कर को रोकने हेतु कोंकण रेलवे द्वारा विकसित तकनीक की खोज की गयी है, जिसे टक्कर रोधी यंत्र का नाम दिया गया है यह माइक्रो प्रोसेसर पर आधारित एवं संचारित उपकरण होता है जिसे इंजन, गार्ड के ब्रेकवान, मानवरहित एवं मानव सहित समपार फाटक पर लगाया जाता है।
     
सर्वप्रथम पूर्वोत्तर सीमान्त रेलवे में 1700 किमी रुट पर इस टक्कर रोधी यंत्र को लगाया गया, इसके बाद सम्पूर्ण भारतीय रेल के सभी प्रमुख मार्गो पर लगाये जाने का कार्य प्रगति पर है।
     
जब टक्कररोधी यंत्रयुक्त इंजन से चालित गाड़ी टक्कर रोधी से सेवित स्टेशन मास्टर के प्रथम रोक सिगनल के निकट पहुंचती है तो 2 किमी पहले ही लोको पायलट को चेतावनी मिलनी शुरू हो जाती है अगर लोको पायलट इस चेतावनी का संज्ञान न ले तो यह स्वयं ही गाड़ी की गति को नियंत्रित कर देती है। जिसके फलस्वरूप लोको पायलट प्रथम रोक सिगनल को खतरे की स्थिति में पार नही कर सकता।
     
जब उपरोक्त उपकरण से युक्त गाड़ी स्टेशन में प्रवेश करती है तथा उस आगमन लाइन पर यदि कोई अवरोध हो तो पुनः टक्कर रोधी यंत्र गाड़ी की गति को स्वयं नियत्रित कर टक्कर से बचाती है। 
     
दो स्टेशनों के बीच ब्लाकखंडो में यदि तीन किमी की दूरी तक कोई अवरोध हो तो यह यंत्र कार्य करना प्रारम्भ कर देता है तथा गाड़ी की गति को नियंत्रित कर टक्कर बचा लेता है।
     
इतना ही नही दोहरी लाइन खण्ड के एक लाइन पर कोई दुर्घटना हो जाती है। ऐसी स्थिति में लोको पायलट यह सुनिश्चित कर ले कि आसन्न लाइन साफ है दुर्घटना से प्रभावित नही है तो इस यंत्र का नार्मल स्विच बटन दबा देते है जिससे आसन्न लाइन पर विपरीत दिशा में आने वाली गाड़ी में लगे टक्कर रोधी यंत्र उस गाड़ी की गति को स्वयं नियंत्रित नही करती है।
     
अगर प्रभावित गाड़ी के लोको पायलट यह सुनिश्चित कर ले कि आसन्न लाइन प्रभावित है तो एस00एस0 बटन दबा देंगे। परिणामस्वरूप आसन्न लाइन पर विपरीत दिशा से आने वाली गाड़ी में लगे टक्कर रोधी यंत्र तीन किमी पहले से लोको पायलट को चेतावनी के साथ साथ गति नियंत्रित करना प्रारम्भ करती है तथा गाड़ी रूक जाती है।
      
उपर्युक्त साधन से यह समपार फाटक पर यदि गाड़ी पहुंच रही हो एवं फाटक खुले हो, क्षतिग्रस्त हो जो गाड़ी परिचालन के लिए सुरक्षित न हो तो दोनो टक्कररोधी यंत्र स्वतः कार्य करना शुरू कर देते है। फलस्वरूप गाड़ी की गति स्वयं नियंत्रित होगी तथा गाड़ी रूक जायेगी एवं समपार फाटक पर हुटर बजना प्रारम्भ हो जायेगा जिससे सड़क यातायात प्रयोग करने वाले सतर्क ही जायेंगे।
      
रेलवे के आधुनिकरण एवं नवीकरण की दिशा में उठाये गये कदम के लिए टक्कर रोधी यंत्र सचमुच में संरक्षा से लेकर तेज रफ्तार, यात्री सुविधाओं, और पारदर्शिता समेत सभी जरूरी कार्यो के लिए ठोस कदम साबित होगा तथा सुरक्षा, संरक्षा और आधुनिकीकरण की दिशा में भी मजबूती आ सकेगी।



यातायात निरीक्षक
पूर्वोत्तर रेलवे, गोरखपुर

एसीडी लोकेशन बाक्स
लोको एसीडी
स्टेशन एसीडी
लोको पायलट कन्सोल



लोको पर स्थित किया गया एन्टेना




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