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रविवार, 26 जुलाई 2020

आत्मबल

आत्मबल 
हमारी आंतरिक शक्ति हमारे आत्मबल कि द्योतक है। यह बल जितना मजबूत होगा, हमारी इच्छा शक्ति उतनी अधिक दृढ़ होगी। हमारी कार्यक्षमता बढ़ेगी। विपरीत परिस्थितियों में लिए गए निर्णय सार्थक सिद्ध होंगे। आत्म बल अवसाद को पैदा होने से रोकता है। इससे हम नकारात्मकता के जाल में फंसने से बचते हैं । यदि किसी व्यक्ति का आत्मबल जागृत कर दिया जाए, तो उसमें असंभव को संभव करने की क्षमता उत्पन्न हो जाती है। हमारा इतिहास भी अनेक ऐसी घटनाओं से भरा पड़ा है जिसमें आत्मबल की शक्ति से चमत्कारी कार्यों को अंजाम दिया गया। माता सीता की खोज में निकले पवनसुत हनुमान विशाल समुद्र को देखकर हताश हो जाते हैं। उन्हें उसे पार करने की कोई युक्ति नहीं सूझती। वह समुद्र की लहरों के सम्मुख स्वयं को विवश अनुभव करते हैं। लेकिन तभी जामवंत जी उनके आत्मबल को जागृत करते हैं। उन्हें उनकी क्षमताओं से अवगत कराते हैं। हनुमान जी का सुप्त आत्मबल जागृत हो जाता है। वह ऊंची उड़ान भरते हैं। देखते ही देखते विराट सिंधु को पार कर लेते हैं। आत्म बल के चमत्कार का उदाहरण महाभारत में भी है। भगवान श्री कृष्ण द्वारा पांडवों का आत्मबल जागृत किया जाता है। जिससे उनके भीतर कौरवों की विशाल सेना को परास्त करने का साहस उत्पन्न हो जाता है । अंत में पांडव महाभारत का धर्म युद्ध जीत लेते हैं। हमें अपना आत्म बल महसूस करना आवश्यक है। हम उसे विस्मृत कर चुके हैं। इसी कारण हमें बहुत जल्द अवसाद घेर लेता है। हम आत्महत्या जैसा पाप कर्म कर बैठते हैं। आत्मबल ही धैर्य जैसे गुणों का विकास करता है। हम अपने लक्ष्यसे नहीं भटकते। मार्ग कितना भी कठिन हो हम मंजिल तक अवश्य पहुंचते हैं। आत्मबल योगिक क्रियाओं द्वारा जागृत किया जा सकता है। अच्छा साहित्य, महापुरुषों की जीवनियों , उनका कठिन संघर्ष, और उनके प्रेरक प्रसंग इत्यादि हमारे आत्मबल को कई गुना बढ़ा देते हैं। उनसे लाभ उठाना चाहिए।
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