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बुधवार, 1 सितंबर 2021

नौकरी

 नौकरी

                  भानु प्रकाश नारायण

                मुख्य यातायात निरीक्षक



(PCOM कार्यालय, गोरखपुर के आदेशपाल श्री शिव के अवकाश ग्रहण दिनांक 31.08.21 के उपलक्ष्य में प्रस्तुत उद्गार)

 नौकरी की बात और निराली थी,

जब तलक नौकरी का साथ था,

हर खुशियां लगती अपनी ही थी,

सारे सपने अपने मन के ही थे।

जिंदा-सा दिखता हूं,सबको

होंठों पर मुस्कान भी है,

पर दिल को कैसे समझाऊं,

नौकरी से जाने के बाद......

कितने अकेले रह जायेंगे,

अपनों से यूं बिछुड़ जायेंगे,

आती रहेंगी पल पल  यादें

तड़पाती रहेंगी यूं ही मन को।

मौन हो गई, संवेदनाएं

मुखर हो गई, वेदनाएं

हम बिखर के रह गए,

नौकरी से जाने के बाद....

वो भी क्या दिन थे,

जब सपने सब अपने थे,

टूट गए सब सपने अपने,

नौकरी से जाने के बाद...

कभी गुफ्तगू, कभी सरगोशियां

कभी रूठना, कभी मनाना

सारे किस्से हवा हो गए,

नौकरी से जाने के बाद....

वही चांदनी, वही सितारे

वही महफिलें,वही नजारे

क्यूं लगता है,बदला -बदला

नौकरी से जाने के बाद....

सबका कहना, सबको भूलना ,

बीती को बिसराना होगा,

पर मन की उड़ान को कैसे रोकूं,

नौकरी से विदा हो जाने के बाद....


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