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सोमवार, 13 सितंबर 2021

परिवार का महत्‍व

 

    परिवार हमारी शक्ति और आंतरिक उर्जा का केन्‍द्र है। इसके बल पर ही हम सामाजिक जीवन का सर्वोच्‍च प्राप्‍त कर सकते हैं। यह संस्‍क़ति एवं जीवन मूल्‍यों की प्राथमिक पाठशाला भी है। परिवार से ही हमारे भीतर सद्गुणों का विकास होता है। किसी भी व्‍यक्ति के विकास में उसके परिवार का बहुत बड़ा योगदान होता है। बच्‍चे पर प्रथम प्रभाव परिवार के माहौल का ही पड़ता है। यदि परिवारिक माहौल अच्‍छा है तो वह तेजी के साथ मानसिक रूप से सबल होने लगता है। उसकी बौधिक एवं आध्‍यात्‍मिक क्षमता में सकारात्‍मक परिवर्तन देखा जा सकता है। इसके विपरित यदि परिवार का माहौल ठीक न हो तो बच्‍चा टूटने लगता है। उसका विकास अवरूद्ध होने लगता है। वह मानसिक एवं बौधिक रूप से कमजोर होने  लगता है। उसके स्‍वभाव में नकारात्‍मकता आने लगती है। वह उद्वि‍ग्‍न रहने लगता है। कभी-कभी वह हिंसक भी हो जाता है। वात्‍सल्‍य, ममत्‍व, स्‍नेह, त्‍याग,  विश्‍वास ये सभी परिवार के अधिष्‍ठान गुण है। इस परिवार के सदस्‍यों के भीतर ये सब नी‍हित है निश्चित रूप से वह परिवार एक आदर्श परिवार का उदाहरण है। भारतीय संस्‍कृति एवं जीवन पद्धति में परिवार का विशेष महत्‍व है। परिवार रूपी संस्‍था से ही राष्‍ट्र के उन्‍नयन का मार्ग प्रशस्‍त होता है।

    संयुक्‍त परिवार हमारे समाज की रीढ़ है। वर्तमान में परिवारों का विघटन हमारी पारिवारिक शक्ति को क्षीण कर रहा है। यह हमारी संस्‍कृति के मूल्‍यों से मेल नहीं खाता। इसी कारण आज पारिवारिक तनाव की स्थितियां बढ़ रही है। लोग स्‍वयं को एकाकी महसूस कर रहे हैं। अपनी परेशानी साझा करने की लिए उन्‍हें कोई मिल नहीं पा रहा। उन्‍हें दादा-दादी का प्‍यार उचित संस्‍कार नहीं मिल पा  रहे हैंजिससे उनके भीतर अपेक्षित मूल्‍यों का संचार नहीं हो रहा। इससे उनकी बौधिक व नैतिक विकास की गति धीमी पड़ रही है। इस स्थिति को बदलना समय की आवश्‍यकता है।

     

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