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बुधवार, 24 नवंबर 2021

गरीब नाथ मंदिर

 बाबा गरीबनाथ मंदिर, मुजफ्फरपुर

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   बिहार के मुजफ्फरपुर शहर में स्थित 'बाबा गरीबनाथ मंदिर आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है. मान्यता है कि इस मंदिर में भक्ति-भाव से मांगी गई भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं. देश के कोने-कोने से श्रद्धालु इस मंदिर में अपनी मुरादें लेकर जाते हैं. यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, इसलिए बाबा गरीबनाथ मंदिर 'मनोकामनालिंग' के नाम से भी मशहूर है.

सावन के महीने में इस मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी डाक बम गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परंपरा रही है. 

'बाबा गरीबनाथ मंदिर' ऐतिहासिक मान्यता

           इस मंदिर का इतिहास 300 साल से भी पुराना है. मान्यता है कि इस स्थान पर पहले घना जंगल हुआ करता था. इस जंगल के बीच सात पीपल के पेड़ थे. पेड़ की कटाई के समय अचानक खून जैसा लाल पदार्थ निकलने लगा और जब इस जगह की खुदाई की गई तो यहां से एक विशालकाय शिवलिंग मिला. लोग बताते हैं कि इसके बाद जमीन मालिक को सपने में भगवान शिव ने दर्शन दिए थे. तब से ही यहां पर बाबा भोलेनाथ की पूजा की जाने लगी.

इस तरह पड़ा था 'बाबा गरीबनाथ मंदिर' का नाम: 

          लोगों का मानना है कि एक बेहद ही गरीब व्यक्ति था, उसके एक बेटी थी. बेटी की शादी के लिए घर में कुछ भी नहीं था. एक दिन व्यक्ति को सपने में बाबा के दर्शन हुए. जिसके बाद शादी के सभी सामानों की आपूर्ति अपने आप हो गई. तभी से इस धाम का नाम 'बाबा गरीबनाथ' पड़ गया.

           बाबा गरीबनाथ शिवलिंग का प्राकट्य कब हुआ इसकी सही जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। सन 2006 ई. में बिहार राज्य धार्मिक न्यास पार्षद ने मंदिर का अधिग्रहण किया और मंदिर की व्यवस्था के लिए ग्यारह सदस्यों का एक ट्रस्ट बनवाया गया।

                    मंदिर प्रांगन में जो कल्पवृक्ष जिनकी पूजा होती है वे शिवलिंग के प्राकट्य से भी ज्यादा पुराना है । श्रावण मास में कांवरियों द्वारा सोनपुर से गंगाजल लाकर बाबा पर अर्पित करने की तीव्र शुरुआत सन्1960 के आस-पास से की गई । 

       बाबा गरीबनाथ धाम जाग्रत शिव-स्थल के रूप में निरंतर प्रसिद्द हो रहा है । यहाँ दूर दूर से आनेवाले श्रद्धालु भक्तों की आस्था इनके दर्शनोपरांत और भी गहरी होती चली जाती है। जन-जन का विश्वास देवाधिदेव महादेव में अकारण ही नहीं है।शिव सबके है ।जो भी शुद्ध मन और विश्वास के साथ इनके द्वार पर आता है,उसे दर्शन से केवल कृतार्थ ही नहीं करते बल्कि उसकी मनोकामना भी पूरी करते है। उसके दुखो को दूर करके उसके जीवन में सुख और आनंद का संचार करते है। जीवन के प्रति अटूट विश्वास और आत्मा के प्रति सजगता का निरंतर सन्देश देते हुए शिव समदर्शी भाव में सहज ही विराजते रहते है। उनके यहाँ कोई विभेद नहीं। जिसने भी उनका स्मरण किया,उनकी पूजा-अर्चना की उसी के वे हो गए । विषम परिस्थिति में भी शांतचित और शांतभाव से रहने की प्रेरणा देते हुए शिव चेतना के उस शिखर पर विराजते रहते है जहा से सबकुछ को सहज ढंग से देखा-समझा जा सकता है। संसार को संकटों से मुक्त कर देने वाला ही 'शंकर' होता है। सबके जीवन की रक्षा करने के लिए कालकूट विष का पान कर लेने वाला ही 'शिवशंकर' होता है । ओधर,आशुतोष भोलेदानी ही सही अर्थ में 'गरीबनाथ' होते है। जिसका कोई नहीं ईश्वर उसका सबसे ज्यादा होता है। शिव सबके अंतर्मन को झंकृत करते हुए आनंदमय वातावरण में जीव को खींच कर ले जाते है।

      बाबा गरीबनाथ जन-जन के महानायक है। दूर-सुदूर से पावन गंगाजल कंधे पर कांवर में सहेज कर कठिन डगर को पार करते हुए आस्था और उल्लास से भरे हुए स्त्री-पुरुष भक्त श्रद्धालु यहाँ आ कर गंगाजल से बाबा का अभिषेक करते है ।बाबा उसकी आस्था को स्वीकार करते हुए उसके मन को तृप्त करते है ।

(संकलन)


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