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बुधवार, 25 जनवरी 2023

प्रसन्नता या खुशी आखिर क्या है ?

 प्रसन्नता या खुशी आखिर क्या है ? 

पूरी तरह से संतुष्ट जीवन का ही तो नाम है. जब व्यक्ति निजी, पारिवारिक, सामाजिक, वित्तीय और कामकाज के मोर्चे पर यानी जीवन के सभी पहलुओं में संतुष्टि महसूस करता है, तभी वह खुश महसूस कर सकता है. सत्ता, संपदा, प्रसिद्धि और पुरस्कार जैसी भौतिकतावादी वस्तुओं से आपको अस्थायी खुशी भले मिल जाए, पर वे खुशी के शाश्वत और टिकाऊ स्रोत नहीं हो सकते. इनमें से कुछ भी हासिल किए बिना भी आप खुश रह सकते हैं. इस तरह की दुनियावी चीजें आरामदायक जीवन जीने के लिए जरूरी हैं, पर ये खुशी का सामान कतई नहीं हैं. अब जैसे इसी बात को लीजिए कि अगर व्यक्ति स्वस्थ नहीं है, तो वह निश्चित तौर पर ही खुश नहीं हो सकता, फिर सामाजिक रूप से वह कितना ही सफल क्यों न हो. और दूसरी ओर अच्छा स्वास्थ्य भी अपने आप में खुशी की गारंटी नहीं है.


खुशी का मतलब कुछ हासिल करना या सफलता पाना नहीं है. इसका अर्थ है अपने साधन-सुविधाओं और अपने बुद्धि-विवेक को साझा करना. आप खुशी कमाते नहीं हैं. आप खुश उस वक्त होते हैं जब आपका होना किसी दूसरे के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालता है. अगर निजी उपलब्धि खुशी का पैमाना बन जाती है, तो उपलब्धि प्राप्त होते ही उसी क्षण खुशी के उस स्रोत का अंत हो जाता है और दुख या अप्रसन्नता का नया रूप या अभाव और कष्ट का एहसास शुरू होता है. कई लोगों को हासिल की हुई चीजें खोने का डर भी सताने लगता है. हम जो हासिल नहीं कर पाते वह हमेशा अधिक और हम जो हासिल कर लेते हैं वह हमेशा कम ही लगता है. कोई भी अधिक हासिल कर नहीं पाता और कोई भी कम में खुश नहीं रहता. खुश रहने की तरकीब थोड़े में संतुष्ट होना है और इस थोड़े का उपयोग मानवजाति और प्रकृति के व्यापक हित में करना है.


खुशी अपनी व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं का सम्मान करने, आनंद उठाने और पूरा करने से भी मिलती है. व्यक्ति ने जो भी काम करने का बीड़ा उठाया है, उसमें उत्कृष्टता हासिल करने के लिए पूरा प्रयास करना ही चाहिए. कई लोगों में अपने व्यवसाय में निहित जोखिमों की कुछ ज्यादा ही आलोचना करने की प्रवृत्ति होती है. लेकिन दूसरी ओर दक्षता, प्रतिबद्धता और ईमानदारी की भावना उसी काम को आंतरिक खुशी का स्रोत बना देती है. व्यक्ति जीवन में जो भी करता है, उसे अपने उस काम से प्यार करना शुरू कर देना चाहिए. लोग दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में बहुत सारा समय बर्बाद कर देते हैं. इसके बजाय मकसद यह होना चाहिए कि हम अपने में उत्कृष्टता और इच्छाओं में अनुशासन लाने का प्रयास करें.


मनुष्य होने के नाते हमें प्रकृति और उस सर्वशक्तिमान के विधानों, अपने देश के शासकों और अपने समाज के नैतिक और सदाचारी नियमों का पालन करना चाहिए. जो इन तीनों का पालन करता है, वह सदैव खुश रहता है. यह आवश्यक है कि हम उस परम सत्ता के सामने आत्मसमर्पण करें. यह हमें अनुभूति दिलाता है कि सेवा से प्राप्त हुई सत्ता, उदात्त लक्ष्य से हासिल की गई प्रगति, प्रार्थना से सधे कार्य, विनम्रता से उपजी बहादुरी और शांति से उपजी क्रांति से समावेशी, एकजुट और शाश्वत खुशी प्राप्त की जा सकती है.


रोजमर्रा की जिंदगी में खुशी की तलाश कर रहे लोगों को मैं इन सिद्धांतों का पालन करने का सुझाव: • नैतिक, अनुशासित और वैज्ञानिक जीवन जीएं.


• आपके पास जो भी है उसे साझा करें. शुरुआत पशुओं को रोटी खिलाने, गरीब व्यक्ति की मदद करने या निरक्षर व्यक्ति को पढ़ाने से कर सकते हैं. • इस सत्य को आत्मसात करें कि आप ईश्वर की अनूठी रचना हैं. पृथ्वी पर सबसे सफल व्यक्ति की सभी योग्यताएं आपके भीतर गढ़ी गई हैं. आप चमत्कार भी कर सकते हैं.


• ईश्वर के प्रति कृतज्ञ महसूस करें. • समाज के नकारात्मक तत्वों या घटनाओं से विमुख रहें और सकारात्मक घटनाक्रमों से प्रेरणा लें.

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