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बुधवार, 22 दिसंबर 2021

स्वभाव

            मनुष्य के स्वभाव से ही उसके व्यक्तित्व का निर्धारण होता है। जिस व्यक्ति का स्वभाव अच्छा होता है वह लगभग सभी का प्रिय बन जाता है। माना "" जाता है कि अच्छे कर्म करने की आदत होने पर स्वभाव में सरलता स्वयं आ आती है। मनुष्य को प्रकृति द्वारा यह शरीर प्राप्त हुआ है और इसी शरीर में मन वास करता है। यही मन मनुष्य के स्वभाव को संचालित करता है। सोचना और भावुक होना इत्यादि मन की विशेषताएं है। कहते हैं कि मन जितना सुंदर होगा, मनुष्य का स्वभाव भी उतना ही आकर्षक होगा। यही मन यदि नियंत्रण में न हो तो स्वभाव में कई प्रकार की विकृतियां आ जाती हैं।

      सूफी संत अबू हसन के पास एक व्यक्ति आया। वह उनसे बोला, 'मैं गृहस्थी के झंझटों से बहुत परेशान हो गया हूं। पत्नी-बच्चों और अन्य जनों से मेरा कोई मेल नहीं खाता। मैं सब कुछ छोड़कर साधू बनना चाहता हूं। कृपया, आप अपने पहने हुए वस्त्र मुझे दे दीजिए। जिससे मैं भी आप की तरह साधु बन सकूं।' उसकी बात सुनकर अबू हसन मुदित होकर बोले, 'क्या किसी पुरुष के वस्त्र पहनकर कोई महिला पुरुष बन सकती है या किसी महिला के वस्त्र पहनकर कोई पुरुष महिला बन सकता है ? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, 'नहीं, ऐसा कदापि संभव नहीं।' संत ने उसे समझाया, 'साधु बनने के लिए वस्त्र नहीं, बल्कि स्वभाव बदलना पड़ता है। अपना स्वभाव बदलो। फिर तुम्हे गृहस्थी भी झंझट नहीं लगेगी। यह बात उस व्यक्ति की समझ में आ गई की उसने अपना स्वभाव बदलने का संकल्प लिया।

      मनुष्य की यह प्रवृत्ति होती है कि अपना स्वभाव बदले बिना ही वह हार मानने लगता है। जबकि स्वयं में थोड़े से परिवर्तन मात्र से ही हम अपने किसी भी उद्देश्य में सफल हो सकते हैं। इसीलिए यदि निरंतर प्रयास के बावजूद असफलता ही हाथ लग रही हो तो हमें अपना स्वभाव बदलने की आवश्यकता है। हार मानकर अपना लक्ष्य या उद्देश्य बदलना कोई हल नहीं, बल्कि पलायन ही कहा जाता है।

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