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बुधवार, 29 दिसंबर 2021

व्यवहार

    स्कूलों में छात्रों के कई समूह होते हैं। वे सभी अपनी रुचि के अनुसार आपस में जुड़ते हैं। वहां कई ऐसे समूह होते हैं, जो आपस में मिलकर किसी की आलोचना करने या किसी के जीवन में मुश्किलें पैदा करने पर ध्यान देते हैं। एक छात्र के रूप में हमें पढ़ाई के अलावा यह भी जानना चाहिए कि हम सब उस परमात्मा की संतान हैं। हममें से प्रत्येक में बुराइयों से ज्यादा अच्छाइयां हैं, इसलिए हमें सिर्फ अच्छे पक्ष पर ही ध्यान देना है। अगर हम यह समझ जाएं तो हमारा व्यवहार लोगों के साथ बेहतर होता चला जाएगा। यदि हमारे समूह में ऐसे लोग हैं, जो दूसरों की आलोचना करते हैं तो हमें उसका हिस्सा नहीं बनना चाहिए। यदि हम ऐसा करेंगे तो सकारात्मक सोच वाले कई बच्चे हमसे मित्रता करना चाहेंगे। ऐसा करने से हमारी जिंदगी शांति से भरी होगी।


    अक्सर हमारे पड़ोस में भी कुछ ऐसे लोग होते हैं, जो दूसरों को परेशान करते हैं। हमें उनके साथ नम्रता से और एक शांत व्यक्ति के रूप में पेश आना चाहिए, क्योंकि टकराव करने से समाधान नहीं निकलता है। हमें कभी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ हिंसक व्यवहार नहीं रखना चाहिए। हमें चाहिए कि सबके साथ प्रेम का व्यवहार करें। दरअसल समय के साथ दूसरे इंसान को भी यह अहसास हो जाता है कि वे जो कर रहे थे, वह गलत था। फिर उनमें भी बदलाव आ जाता है।

    ह उम्मीद करना कि दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति अच्छा ही होगा, संभव ही नहीं है। यहां हर तरह के लोग हैं। कुछ लोग हमें परेशान करते हैं, चाहे वे हमारे स्कूल में, पड़ोस में या हमारे काम करने के स्थान पर हों, लेकिन जब हम खुद को शांत रखेंगे और अपने सिद्धांतों पर कायम रहेंगे तो समय के साथ हम परेशान होने के बजाय खुश रहेंगे। जिसका प्रभाव आस-पास के वातावरण पर भी पड़ेगा। यदि हम अपने मिलने वालों से प्रेमपूर्वक व्यवहार करेंगे तो अपने चारों ओर एक शांतिमय माहौल पाएंगे। 

संत राजिंदर सिंह जी महाराज

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