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शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

आत्मनिर्भरता



    हमें अपना काम स्वयं ही करना चाहिए। किसी पर आश्रित रहना अच्छी बात नहीं। किसी के भरोसे रहने पर मन में संदेह बना रहता है। मन में संदेह .एवं चिंता उत्पन्न होना मानव जीवन के उत्थान में बाधक है। मनुष्य को परमात्मा ने दिमाग, हाथ, पैर किसी पर आश्रित रहने के लिए नहीं दिया है, बल्कि इनका उपयोग करके जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए दिया है। नहीं करने वाले के लिए हर काम कठिन एवं असंभव होता है और करने वाले के लिए हर कार्य सरल एवं संभव। किसी पर आश्रित होने का अर्थ है कि व्यक्ति आलसी, कामचोर और गैरजिम्मेदार है। ऐसा व्यक्ति कभी आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी नहीं बन सकता है। स्वयं पर भरोसा करना स्वयं के पैरों को मजबूत करना है। दूसरों पर आश्रित होना स्वयं के पैरों को कमजोर करना है।

    कर्मयोगी हर कार्य में सफल होता है, क्योंकि उसने चुनौतियों से लड़ना सीखा है। चुनौतियों से भागने वालों से हमें दूरी बनाकर रखनी चाहिए। ऐसे लोग धरती पर बोझ बनकर जीते हैं। यह जीवन कायरता का प्रदर्शन करने के लिए नहीं, बल्कि बहादुर, परिश्रमी, विवेकवान बनने के लिए मिला है। ऐसे व्यक्ति संसार में स्वयं का इतिहास रचते हैं और युग की धारा को मोड़ने में कारगर सिद्ध होते हैं। हर व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनना चाहिए। स्वयं की जिम्मेदारी का निर्वाह करना चाहिए। किसी के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहिए। इसी में जीवन की गरिमा है और जीवन सार्थक सिद्ध होता है।.

    आलस जीवन में दरिद्रता लाता है। दरिद्रता मानव के जीवन के लिए अभिशाप है। संपन्नता ही जीवन का सौंदर्य है। परिश्रम से संपन्नता आती है। • सकारात्मक विचार के व्यक्ति किसी पर आश्रित नहीं रहते। वे स्वयं पर भरोसा करते हैं और अपना पथ स्वयं पुरुषार्थ से निर्मित करते हैं। याद रखें दूसरे के पैर से कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं। एक चींटी भी अपने शरीर से ज्यादा बोझ लेकर आगे बढ़ती है।

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