इस ई-पत्रिका में प्रकाशनार्थ अपने लेख कृपया sampadak.epatrika@gmail.com पर भेजें. यदि संभव हो तो लेख यूनिकोड फांट में ही भेजने का कष्ट करें.

सोमवार, 10 अक्तूबर 2022

शाश्वत सत्य

 शाश्वत सत्य

इस समय धर्म ग्रंथों के शाश्वत वचन भाषण तक ही सीमित होकर रह गए हैं। भाषण देने वाले अधिकांश लोग भी धर्म ग्रंथों के ज्ञान एवं अनुभव से अनभिज्ञ हैं। यही कारण है कि समाज पर इसका कोई सकारात्मक असर नहीं हो रहा है। इससे व्यक्ति की पीड़ा कम होने के स्थान पर बढ़ती ही जा रही है, जिससे जीवन तमाम समस्याओं में डूबता जा रहा है। यह सत्य है कि हर धर्म ग्रंथ में कहे गए शाश्वत वचन दैवीय वचन ही हैं, जो उसकी प्रेरणा स्वरूप लिखे गए हैं, लेकिन इनकी गहराई का अहसास तभी हो सकता है जब इनको पढ़ने एवं सुनने वालों में इन्हें अनुभव करने की शक्ति विकसित हो। बिना इसके शाश्वत वचनों का प्रचार-प्रसार, कथा एवं प्रवचन सब निरर्थक हैं।


धर्म का आचरण यदि सही ढंग से नहीं किया जाता तो यह केवल आडंबर बनकर रह जाता है। इसका सही आचरण निश्चित ही व्यक्ति को देवत्व प्रदान करता है, किंतु गलत आचरण नर्क की ओर ले जाता है। इन दिनों ऐसा भी देखा जा रहा है कि धर्म का एक ऐसा अन्यायी भूत लोगों के मन में घुस गया है जिसे वे बाहर निकालना नहीं चाहते. और न ही इसकी सूक्ष्मता पर विचार करते हैं। वास्तव में धर्म के वास्तविक अर्थ को समझने वाले बहुत ही कम हैं और जो हैं उनमें भी अधिकांश सही तरह से इसका अनुसरण नहीं कर रहे हैं। ये लोगों की नासमझी का लाभ उठाकर अपनी-अपनी दुकान चला रहे हैं तथा धर्म के नाम पर मनुष्य को ऐसे तोते के समान बना देना चाहते हैं, जो केवल वही भाषा बोलें जो उन्हें बताई जाए।

प्रत्येक मनुष्य के मस्तिष्क में ज्ञान का अकूत भंडार है, जो दुनिया के हर धर्म-पंथ के बारे में समझ सकता है। इसे बस थोड़ा सा प्रयास करके जागृत करना होता है। जो ऐसा करने में सफल हो जाते हैं उन्हें सभी धर्म-पंथ एक जैसे ही दिखते हैं, न तो कोई छोटा और न ही कोई बड़ा, क्योंकि शाश्वत सत्य तो हर धर्म ग्रंथ में एक ही है। व

ओशो कहते हैं कि आप मानसिक साधना करिए ,ध्यान करिए, प्राणायाम करिए। आप कुछ समय अंधेरे में बैठें और अपने साथ रहे ,अपने मन में जो विचार आ रहे हैं ,उन्हें सिनेमा हॉल में बैठे हुए दर्शक की तरह देखते रहे। उसके साथ मत चले  कुछ समय बाद ऐसा होगा आपके मन में उठने वाले विचार भी कम होते जाएंगे और एक समय ऐसा आएगा कि आप मन की अतल गहराइयों में पहुँच जाएंगे और आपका मन शांत होने लगेगा और आपको सच्चा आनंद आने लगेगा। 

1 टिप्पणी: