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सोमवार, 19 दिसंबर 2022

खुद को शांत करें

खुद को शांत करें


आज की भागमभाग दुनिया में कुछ लोग ठहर कर जीवन के बारे में विचार करने लगे हैं, आखिर हम भाग कहां रहे हैं? क्यों भाग रहे हैं? क्या भागना ही जीवन है? आज की गति देखकर भविष्य में गति की कल्पना करें तो डर सा लगता है। हालांकि अपनी गति को संतुलित करते हुए हम कठिन समय को भी खुशनुमा बना सकते हैं। हम वास्तव में जो चाहते हैं, उसे प्राप्त कर सकते हैं।

स्व-आलोचक पूछता है, 'क्या मैं बिल्कुल सही हूं?' पर खुद के प्रति करुणा रखने वाला पूछेगा, 'मेरे लिए क्या सही है?' स्वयं के प्रति उदार, करुणामय एवं प्रेम से ओतप्रोत होना जरूरी है। इस तरह स्वयं द्वारा स्वयं का साक्षात्कार ही अनेक उलझनों एवं समस्याओं से मुक्ति का प्रभावी मार्ग है। भगवान महावीर ने भी यही सिखाया - आत्मा के द्वारा आत्मा को देखो। स्वयं सत्य को खोजो ।


गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं, 'आदमी जब दुखी होता है, तब मेरी भक्ति करता है। जब तक उसे कोई पीड़ा नहीं सताती, वह मुझे कभी याद नहीं करता।' आप आज जहां हैं, जाहिर है कि अपने काम करने एवं सोच के तरीकों के कारण हैं। आपका स्वास्थ्य, संपत्ति, रिश्ते और करियर वगैरह सब आपकी कार्यप्रणाली और निर्णयों का नतीजा हैं। ऐसे में प्रश्न यह है कि आप जहां हैं, क्या उस पड़ाव पर खुश हैं? अगर आप यूं ही अपना जीवन बिताते रहते हैं तो क्या नतीजों से आप खुद को संतुष्ट महसूस करेंगे? अगर उत्तर में किंतु, परंतु आता है तो कुछ बदलाव करने का वक्त आ गया है। इसमें कोई खराब बात भी नहीं है। हमें 'और' 'ज्यादा' की और आगे जाने की इच्छा बनी ही रहती है। इसलिए अपने जीवन को एक दिशा देने में अभी देर नहीं हुई है। अपनी इच्छाओं को संतुलित करें। जरूरत खुद को काबू में रखने की होती है, लेकिन हम दूसरों को काबू में करने में जुटे रहते हैं। तूफान को शांत करने की कोशिश छोड़ दें। खुद को शांत होने दें। तूफान तो गुजर ही जाता है।

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