इस ई-पत्रिका में प्रकाशनार्थ अपने लेख कृपया sampadak.epatrika@gmail.com पर भेजें. यदि संभव हो तो लेख यूनिकोड फांट में ही भेजने का कष्ट करें.

रविवार, 4 दिसंबर 2022

साइबरठगी।

 साइबर ठगी


        प्राचीन ग्रंथों में तीन प्रकार की एष्णाएं (इच्छाएं) मानव स्वभाव में अंतर्निहित बताई गई हैं- पुत्रेष्णा, वित्तेष्णा और लोकेष्णा लोकेष्णा यानी लोक में मान सम्मान, प्रशंसा पाने की इच्छा। इन एष्णाओं की पूर्ति जब पुरुषार्थ के माध्यम से हो तो जीवन संवर जाता है, किंतु जब एष्णा लोभ का स्वरूप ग्रहण कर ले तो वही होता है जो शिक्षक व धार्मिक विषयों के यू-ट्यूबर लखनऊ के सैमुअल सिंह के साथ हुआ। सैमुअल साइबर संसार में ठगी का शिकार हो गए। जब वह डेढ़ करोड़ रुपये ठगों के हाथ गंवा बैठे तब पुलिस की सहायता ली। सैमुअल ईसाई समुदाय से संबंधित धार्मिक आयोजनों व धर्मोपदेश • संबंधी वीडियो यूट्यूब पर अपलोड करते हैं। अगस्त में एक व्यक्ति ने फोन कर बताया कि वह बिल्टन से जान स्पेंसर बोल रहे हैं। उनके वीडियो से प्रभावित होकर पोलैंड के एक सज्जन ने उन्हें पार्सल भेजा है जिसमें हीरेजड़ित घड़ी, स्वर्णाभूषण और कुछ हजार पौंड हैं। सैमुअल यहीं एक साथ लोकेष्णा और वित्तेष्णा के शिकार हो गए। विभिन्न टैक्स और ड्यूटी के नाम पर कई बार में जब उनसे डेढ़ करोड़ रुपये खाते में ट्रांसफर करा लिए गए तब पुलिस की शरण ली। • सैमुअल अकेले व्यक्ति नहीं हैं। हाल के ही दिनों में अनेक उदाहरण सामने आए जिनमें ऐसे ही लोग लोभवश साइबर ठगों के जाल में फंसते चले गए। कुछ दिन पहले एक सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी भी करीब सवा करोड़ गंवा बैठे थे। पुलिस की सतर्कता से उनका करीब 80 लाख रुपया तो वापस मिल गया, लेकिन भविष्य के लिए सुरक्षित शेष धनराशि ठग पार कर चुके थे। साइबर ठगी का जाल इतना विस्तृत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित है कि समय पर न चेते तो रकम वापसी मुश्किल हो जाती है। 

        इतिहास का कोई भी कालखंड ऐसा नहीं रहा जिसमें ठगी प्रथा अलग-अलग रूपों में अस्तित्व में न रही हो । विधिक सख्ती से कमी जरूर आती है, लेकिन साइबर ठगी से बचाव का उपाय मात्र एक ही है - लालच पर अंकुश। यह लालच चाहे प्रशंसा का हो या प्रभाव के झूठे महिमागान का। जागरूकता और मानवीय कमजोरियों पर संस्कारों का पहरा ही लालच में फंसने से रोक सकता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें