इस ई-पत्रिका में प्रकाशनार्थ अपने लेख कृपया sampadak.epatrika@gmail.com पर भेजें. यदि संभव हो तो लेख यूनिकोड फांट में ही भेजने का कष्ट करें.

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2022

Madhur vaani. मधुर वाणी

 मधुर वाणी

जीवन में संयमित और मधुर वाणी का बड़ा महत्व है। हमारी वाणी ही हमारे व्यक्तित्व और आचरण का परिचय कराती है। वाणी में कड़वापन है तो सुनते ही सामने वाला आग-बबूला हो जाए और यदि वाणी में शालीनता है, तो सुनने वाला प्रशंसक बन जाए। दुनिया को मुट्ठी में करने का सूत्र है वाणी में माधुर्य और मिठास । अगर वाणी है. मधुर है तो सारी दुनिया हमें मित्र दृष्टि से देखेगी। मधुर बोलने वाला समाज में आदरणीय होता है। उसका है।


एक-एक शब्द सुनने वाले के मन को लुभाता संसार में वाणी से बढ़कर कोई प्रभावी शक्ति नहीं है। ऐसी शक्ति का उपयोग प्रत्येक व्यक्ति को सोच-समझकर करना चाहिए। अक्सर मधुर वाणी से ऐसा काम भी बन जाता है, जिसके बनने के कोई आसार न दिख रहे हों। वहीं, जो व्यक्ति वाणी . में कड़वापन रखता है, उसके बनते काम भी बिगड़ जाते हैं। इसलिए यदि कार्य सिद्ध करने हैं और रिश्ते निभाने हैं तो वाणी में मधुरता का अभ्यास करना चाहिए। जो भाषा कठोर एंव किसी व्यक्ति को गहन पीड़ा पहुंचाने वाली हो, यदि वह सत्य भी है तब भी नहीं बोलनी चाहिए। अगर जीवन को सुखी बनाना है तो संयमित वाणी बोलना आवश्यक है। एक कहावत भी है-एक चुप सौ सुख ।'


वस्तुतः, मनुष्य की वाणी एक अमूल्य आभूषण है। इसके अनर्गल प्रयोग से व्यक्ति के व्यक्तित्व की आभा फीकी पड़ती जाती है। इसलिए जीवन में वाणी के संयम का बहुत महत्व है। वाणी की शक्ति मानव को ईश्वर का दिया अनुपम उपहार है, परंतु मनुष्य की देह की अन्य क्षमताओं की भांति इस पर ' भी संयम रखना आवश्यक है। वाणी संयम के अभाव में इसका उपयोग अनियंत्रित हो जाता है और यह कई मुश्किलों का कारण बन जाता है। यह द्रौपदी के कटुवचन ही थे, जो दुर्योधन के अंतःकरण में शूल से जा गड़े, जिसकी परिणति महाभारत के रूप में सामने आई। यह एक बड़ा सबक है कि हमें वाणी पर संयम रखना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें