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सोमवार, 16 दिसंबर 2019

उम्मीद

उम्मीद 
आप कभी कभार सोचते होंगे कि ,आप इतना दबाव, इतनी परेशानियां ,

इतनी असफलता  बर्दाश्त नहीं कर सकते. आपको लगता है कि, आपने सब कुछ कर लिया,
लेकिन हालात काबू से बाहर है. इसके लिए कतई जरूरी नहीं कि आप तुरंत कुछ करें.
नहीं सूझ रहा है तो रुक जाने में भी कोई बुराई नहीं है.  नई आशा और उम्मीदों की
धूप देर सबेर खुद भी पहुंच जाएगी. ताजी हवा, और रोशनी भीतर आ सके ,
इसके लिए जरूरी है, कि आप अपने दिमाग की खिड़कियों को खुला रखें,
उन पर भय ,आशंका और अशुभता कि कड़वी धूल को जमने ना दे. 



     मन भी छोटा करने की जरूरत नहीं. जीवन तो हर पल नया भी हो रहा है.
और पुराना भी. हम जिस पल में नए हो जाते हैं, उस पल में हमारी जिंदगी  नई
होने लगती है. नई राहों की ओर कदम बढ़ाते समय जो नहीं है, उस पर बेचैन
होने की बजाय जो सामने है ,उस पर केंद्रित होना चाहिए. चुनौतियां रास्ते की
रुकावटें नहीं है, रास्ता ही  है संघर्ष और असफलता केवल निराश ही नहीं करते,
बहुत कुछ सिखाते भी हैं. नाउम्मीद में ही उम्मीद छुपी होती है .बीती बातों से
भागकर नहीं ,उनसे सीख कर ही उबरा जा सकता है. मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि
हम इसी जाल में फंस कर रह जाते हैं ,कि या तो सब कुछ चाहिए. या कुछ भी नहीं.
और यह सोच हमारा संतुलन भी बिगाड़ देती है. कई बार कम रोशनी में ही चीजें गहराई
में समझ आती है.   धुंधलापन नई कहानियों को जन्म देता है. दिमाग साफ हो और हम
धुंध का मजा लेने के लिए तैयार हो तो कहानियां अच्छी बनती है. 



    सफलता सिर पर जल्दी चढ़ती है. और असफलता दिल पर. जीत के नशे में झूमते हुए
को हार नहीं दिखती .और हारे हुए को जीत की कोई उम्मीद नजर नहीं आती.  लेकिन
असली जीत उनकी होती है, जो सफलता को सिर नहीं चढ़ने देते ,और हार को दिल से
नहीं लगाते. बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी संधू कहती है की "हार हो    या जीत मैं अपना
100% देने पर ध्यान देती हूं. जो करती हूं पूरे मन से करती हूं ". आपकी सफलता का
दरवाजा खुलेगा जरूर ..आप वांछित पाएंगे जरूर. कभी-कभी दरवाजा जब ज्यादा
मजबूती से बंद होता है  तो उसे खोलने के प्रयत्न उतने ही मजबूती से करने होते हैं .
हैरत और झुंझलाहट क्यों?    

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