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रविवार, 25 अक्तूबर 2020

समय पालन में नियंत्रक की भूमिका

 समय पालन सुनिश्चित करने में नियंत्रक की भूमिका

1. रेकलिंक से भलीभांति परिचित होना।

2. आपातकाल में ओवरलैप रेक चलवाना।

3. यदि ओवरलैप रेक नहीं है तो प्रथम आया प्रथम गया पद्धति को अपनाना।

4. गाड़ी सेवा को बनाए रखने के लिए स्क्रैच रेक का प्रयोग।

5.यदि संभव नहीं है तो आने वाला रेक जाने वाले रेक के रूप में कार्य करेगा।

6. गाड़ी परीक्षण  स्टाफ को समय से बताना, जिससे बिलंब को कम किया जा सकता है।

7. गाड़ी के सामान्य भार के बारे में जानकारी रखना।

8.सेक्सन कोचों के जोड़ने व घटाने में मदद करने के लिए विशेष कोचों के संचलन का ज्ञान

9. सेक्सनल कोचों के संचालन की पूरी जानकारी ।

10.यदि सेक्शनल कोच देरी से चल रहे हैं तो अतिरिक्त कोचों को सेक्शनल कोचों के रूप में प्रयोग करना।

11. सिकमार्क कोचेज के बदले में प्रयोग करना ।

12. यदि डाक डिब्बे सिक होते हैं तो अतिरिक्त कोचों की व्यवस्था करना।

13. प्रस्थान समय से कम से कम एक घंटा पहले प्लेटफार्म पर रेक  लगवाना।

14. यात्री गाड़ियों को लेने के संदर्भ में स्टेशनों का मार्गदर्शन।

15. यदि  यात्री गाड़ी 30 मिनट से ज्यादा विलंब से चल रही है स्टेशनों पर अग्रिम रूप से सूचना देना।

16. लोको पायलट को अधिकतम स्वीकृत गति से चलने की सलाह देकर गाड़ी को मेकअप करवाना।

17. क्रॉसिंग के समय अधिकतम लाभ लेना।

18. विभिन्न प्रकार के लोको को उनके नंबर के साथ उनकी कार्यक्षमता को जानना।

19. स्टैबलिंग, लगान ,उतरान के विलंब को कम करने के लिए स्टेशनों को अग्रिम से सूचना।

20. क्रू दल के कार्य के घंटों को जानना।

21. इंजनों में इंधन की मात्रा को जानना।

22.मेन लाइन को बंद नहीं करना चाहिए।

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