"प्यारी हिन्दी"
जन-जन के राह पे
चल पड़ी है प्यारी 'हिंदी',
करके सोलह श्रृंगार ,
'गद्य','पद्य' और 'व्याकरण',
लेकर अपने साथ l
माथे पर 'अनुस्वार' की बिंदी,
आँखों में सुंदर -सी काजल l
'पूर्ण विराम' सिंदूर लगाकर,
चल पड़ी है हिन्दी l
कानो में हैं 'विसर्ग 'के छल्ले,
होठो पर 'कोष्ठक' की लाली l
मुस्कान में देखो झलक रही है,
'वर्ण'-दन्तो की छटा निराली ll
'छायावादी' यौवन उसका,
देखो कैसी इठला रही है l
'श्रृंगार-रस' में लिपटा आँचल
'छंद'-छंद मन में मुस्कुरा रही है ll
हाथों में खनकती 'चौपाई',
मिश्री कानो में घोल रही है l
'दोहे' छनकाती पाँवो में,
पल-पल चल पड़ी है हिंदी l
'अलंकारों' से सजी-धजी है
हे मादक 'हिंदी' सुकुमारी !
'भारत' जैसे प्रियतम से है
आस लगाये आतुर हिन्दी l
भानु प्रकाश नारायण
मुख्य यातायात निरीक्षक
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