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रविवार, 25 अक्तूबर 2020

प्यारी हिन्दी



"प्यारी हिन्दी"

जन-जन के राह पे

चल पड़ी  है प्यारी 'हिंदी',  

करके सोलह श्रृंगार ,

'गद्य','पद्य' और 'व्याकरण', 

लेकर अपने साथ l

माथे पर 'अनुस्वार' की बिंदी, 

आँखों में सुंदर -सी काजल l

'पूर्ण विराम' सिंदूर लगाकर, 

चल पड़ी है हिन्दी l

कानो में हैं 'विसर्ग 'के छल्ले, 

होठो पर 'कोष्ठक' की लाली l

मुस्कान में देखो झलक रही है, 

'वर्ण'-दन्तो की छटा निराली ll

'छायावादी' यौवन उसका, 

देखो कैसी इठला रही है l

'श्रृंगार-रस' में लिपटा आँचल 

'छंद'-छंद मन में मुस्कुरा रही है ll

हाथों में खनकती 'चौपाई', 

मिश्री कानो में घोल रही है l

'दोहे' छनकाती पाँवो में, 

पल-पल चल पड़ी है हिंदी l

'अलंकारों' से सजी-धजी है 

हे मादक 'हिंदी' सुकुमारी !

'भारत' जैसे प्रियतम से है 

आस लगाये आतुर  हिन्दी  l

                 भानु प्रकाश नारायण

            मुख्य यातायात निरीक्षक

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