इस ई-पत्रिका में प्रकाशनार्थ अपने लेख कृपया sampadak.epatrika@gmail.com पर भेजें. यदि संभव हो तो लेख यूनिकोड फांट में ही भेजने का कष्ट करें.

मंगलवार, 12 जुलाई 2022

मर्यादा

 मर्यादा


        भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम पुकारने के पीछे कारण है कि उन्होंने मानवता के कल्याण के लिए आदर्श आचरण का पालन किया और अपनी असीम शक्ति का प्रयोग मर्यादाओं की रक्षा के लिए ही किया। भगवान श्रीराम द्वारा मर्यादा पालन का उच्च कोटि का उदाहरण उस समय सामने आता है जब चित्रकूट में उन्हें मनाने अयोध्या और जनकपुर के वासी पहुंचते हैं। उन सभी के आग्रह को भगवान श्रीराम आराम से सर्वसम्मति का नाम देखकर अयोध्या लौट सकते थे, परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके स्थान पर कुल की मर्यादा का पालन करते हुए वन के कष्टों को चुना। अपने पूरे वनवास के समय और रावण से युद्ध में भी भगवान श्रीराम ने हमेशा सत्य का साथ देते हुए मर्यादाओं का पालन किया। इस प्रकार उन्होंने धर्म के लिए मर्यादा की स्थापना की।

        धर्म का असली तात्पर्य है नैतिकता और न्यायपूर्ण ढंग से मानवता के कल्याण के लिए आचरण करना। पूरा संसार ईश्वर का रूप है और इसके साथ अच्छा आचरण एक प्रकार से ईश्वर के प्रति अच्छा आचरण है, जिसे धर्म का नाम दिया जा सकता है। इस प्रकार के आचरण से पूरे संसार का कल्याण होता है, जो सही प्रकार से ईश्वर पूजा ही है, परंतु आजकल धर्म का तात्पर्य केवल सांप्रदायिक विचारों तक ही सीमित हो गया है और ज्यादातर लोग मानवता को भूलते जा रहे हैं। सही अर्थों में धार्मिक आचरण वही है, जिसके द्वारा समाज का कल्याण हो और चारों तरफ सुख शांति की स्थापना हो। इसलिए हर मनुष्य को अपने संप्रदाय के महापुरुषों के आचरण का अध्ययन करके उन्हें अपने जीवन में उतारने का • प्रयास करना चाहिए।

       मर्यादापूर्ण आचरण को ही ईश्वर की सच्ची पूजा और निष्ठा का नाम दिया गया है। इस प्रकार के आचरण से मनुष्य को सकारात्मक भावना प्राप्त होती, है। वह अपने आप को निर्मल तथा स्वच्छ मन का पाता है। फिर सारी शारीरिक और मानसिक व्याधियों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें