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मंगलवार, 26 जुलाई 2022

खुशी की खोज

 खुशी की खोज


    खुशी पर हर व्यक्ति का प्राकृतिक अधिकार है। कोई इसे किसी से छीन नहीं सकता है। जीवन का हर पल हमें खुशियां दे सकता है, यदि हम इसमें हमेशा खुशियां खोजें। किसी इंसान का मन जब खुश होता है तो वह बहुत सहज महसूस करता है। वहीं जब उसके मन में तनाव होता है तो स्वाभाविक रूप से मन में बसने वाली खुशी न जाने कहां गुम हो जाती है। ऐसे में उसके मन पर नकारात्मकता हावी हो जाती है। इससे उसका नुकसान होने लगता है। जबकि जब मन में खुशी होती है तो विचार भी रचनात्मक होते हैं।

    खुशी हमें तभी मिलती है जब हम अपने गुणों को समझते हैं, उन्हें प्रश्रय देते हैं और उनमें वृद्धि करते हैं। फिर अपनी विशेषताओं को समझ कर उनका भरपूर सदुपयोग करते हैं। वे व्यक्ति जीवन में अधिक खुश रहते हैं, जिनके जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होता है। जिन व्यक्तियों को यह ज्ञात होता है कि वे अपने उद्देश्य, अपने लक्ष्य, अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं तो उनकी प्रसन्नता भी निरंतर बढ़ती रहती है। ऐसे व्यक्तियों में घबराहट, चिंता, तनाव, बैचेनी आदि मानसिक परेशानियां बहुत कम पनपती हैं। और पनपती भी हैं तो ज्यादा समय तक स्थिर नहीं रह पाती हैं। दूसरों से जुड़ाव, लगाव और अपनत्व भी हमें बहुत खुशियां देते हैं। इसीलिए संबंध बनाए जाते हैं और निभाए जाते हैं। जो व्यक्ति दूसरों के साथ बड़ी आसानी से सामंजस्य बैठा लेता है, अपनत्व जोड़ लेता है वह स्वयं खुशी तो पाता ही है दूसरों को भी खुशी देता है।

    हमारा शरीर और मन एक-दूसरे से जुड़े हैं। दोनों एक-दूसरे पर आश्रित हैं। शरीर स्वस्थ होगा तो हमारा मन भी स्वस्थ होगा। इसलिए खुश रहने के लिए हमारे शरीर एवं मन का स्वस्थ रहना जरूरी है। खुशी के बिना जीवन में नीरसता छा जाती है। जीवन बुझा-बुझा सा प्रतीत होता है। इसलिए ऊर्जावान और प्रेरित बने रहने के लिए भी व्यक्ति का खुश रहना बहुत ही आवश्यक है।

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