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शुक्रवार, 29 जुलाई 2022

सद्विचार

 सद्विचार


    सद्विचार जीवन रूपी तपस्या के हवन कुंड से निकलने वाली वह प्राणदायिनी ऊर्जा है, जो यत्र तत्र सर्वत्र को अपनी आभा से सुगंधित कर देती है। सद्विचार परिष्कृत मंत्र के पर्याय हैं, जिनके श्रवण मात्र से दृष्टि ही नहीं, जीव की सृष्टि तक में भी परिवर्तन संभव है। ये मनुष्य के दैहिक, लौकिक, बौद्धिक, सामाजिक एवं आत्मिक उन्नति का आधार हैं। विचार जब आचरण की कोख से जन्म लेकर अवतरित होते हैं तो उनमें समाज, लोक एवं परंपरा में आमूल-चूल परिवर्तन करने की अपूर्व क्षमता समाई रहती है।

    वैचारिक परिशुद्धता ही मनुष्य को जीवन में जीव से श्रेष्ठतम करार देती है। विचार वह संपत्ति है, जो अदृश्य होते हुए भी दृष्ट अथवा अलौकिक संपत्ति से कई गुना श्रेष्ठतर, दीर्घजीवी और शाश्वत होती है। एक सद्विचार अपने में समूचे विश्व को परिवर्तित कर देने की अपूर्व क्षमता रखता है। विचार के अनुरूप ही हमारी शारीरिक, मानसिक, सांसारिक एवं भौतिक सृष्टि का निर्माण होता है और उससे ही आगामी जीवन-दर्शन की श्रेष्ठता की गुणता निश्चित होती है। सकारात्मक विचार जीव-जगत के कल्याण की संजीवनी सरीखे हैं। वैचारिक संपन्नता का दुर्लभ उपहार करुणानिधान ईश्वर अपने किसी अनन्य उपासक को ही प्रदान करते हैं। यह दैहिक विलोपन के पश्चात भी अपनी दीर्घजीविता से जगत को चमत्कृत करने की क्षमता रखता है। सद्विचार से लक्ष्य चुंबक की भांति खिंचा हुआ स्वतः ही हमारी ओर आकर्षित होता रहता है।

    हम जैसा होना और बनना चाहते हैं, विचार हमें उसी लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा प्रदान करते रहते हैं। विचार ही हमारे चरित्र, नीति, आदर्श एवं मूल्य के नियोक्ता हैं। विचारों की निश्चयात्मकता हमारे गंतव्य एवं मंतव्य की दिशा भी तय करती है। विचार ही हमारे संस्कारों के परिशोधन की महागंगा हैं। आइए हम सब नकारात्मक विचारों को त्याग कर सकारात्मक विचारों को अपनाएं।

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