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शुक्रवार, 18 नवंबर 2022

अहंकार के परिणाम

 अहंकार के परिणाम


अहंकार व्यक्ति के लिए घातक मानसिक रोग है। अहंकार-ग्रस्त व्यक्ति खुद की श्रेष्ठता, महत्ता एवं विशिष्टता के आगे हरेक को बहुत छोटा और हेय मानता है। अहंकार में उलटे-सीधे काम भी हो जाते हैं जो किसी न किसी दिन कष्टकारक बनते हैं। धार्मिक ग्रंथों में ऐसे अनेक अहंकारी पात्रों का उल्लेख मिलता है, जिनका सर्वस्व अहंकार के मानसिक-यज्ञ में भस्म हो गया। उदाहरण के.. रूप में रावण, बाली, कंस और दुर्योधन आदि ऐसे प्रचलित पात्र हैं, जिनके बारे में सभी जानते हैं कि • उनके विनाश का कारण उनका अहंकार ही मन में अहंकार - भाव उत्पन्न होने के कई कारण रहा है। होते हैं। व्यक्ति अपने रूप-रंग तथा सौंदर्य से दंभी हो सकता है या ज्ञान से या भौतिक संपत्ति से अहंकारी हो जाता है। जबकि ये सारे भाव या पदार्थ क्षणभंगुर होते हैं। अहंकारी व्यक्ति के इर्द-गिर्द स्वार्थी और चापलूस लोगों का घेरा भी बन जाता है। ऐसे लोग झूठी प्रशंसा करके अहंकारी व्यक्ति के अंदर अहंकार की अग्नि निरंतर भभकांते रहते हैं। यह कृत्रिम अग्नि जब रक्त में प्रवाहित होने लगती है तब शरीर संचालन के लिए शरीर के रक्त-रसायन में व्याप्त अग्नि तत्व को वह निष्प्रभावी करती है। जिस प्रकार कूड़े-करकट की अग्नि पर खाद्य पदार्थ नहीं पकाए जाते, उसी प्रकार अहंकार की उत्तेजना कूड़े-करकट वाली आग होती है। इससे शरीर के अग्नि तत्व में विकृतियां उत्पन्न होती हैं। व्यक्ति बीमार होता है। उसके शरीर का लचीलापन कम होता है।


• चिकित्सकों के अनुसार शरीर की तंत्रिका प्रणाली में जितना लचीलापन होगा, उतना ही शरीर प्राकृतिक ऊर्जा को ग्रहण कर सकेगा। इसलिए ऋषियों ने विनम्रता की प्रशंसा और अहंकार की निंदा की है। लोगों को चाहिए कि वे देव-पुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर खुद समाज में सम्माननीय बनें तथा आसपास अपने सदाचरण की सुगंध बिखेरें, ताकि लंबे समय तक उनकी ख्याति रहे ।


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