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बुधवार, 30 नवंबर 2022

इतिहास के झरोखे से:शिल्हौरी

 शिल्हौरी 

बिहार में मढ़ौरा अनुमंडलीय मुख्यालय से करीब एक किमी दूर छपरा-मढ़ौरा मुख्यमार्ग से सटे शिल्हौरी गांव में बाबा भोलेनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है।

इस मंदिर के इतिहास से पौराणिक प्रसंग जुड़ा है। मान्यता है कि देवर्षि नारद को अपनी तपस्या पर अहंकार हो गया। उनके अभिमान भंग करने के लिए भगवान विष्णु की माया से बसे नगर में राजा शिलनिधि की पुत्री विश्वमोहिनी का स्वयंवर रचा गया था। विश्वमोहिनी के हस्तरेखा के अनुसार उसका वर तीनों लोक का स्वामी होगा। उसके सौंदर्य व तीनों लोक के स्वामी होने की बात से देवर्षि नारद विचलित हो गए। उन्होंने उसमें शामिल होने का मन बना लिया। विष्णु से हरि रूप यानि भगवान के आकर्षक मुखमंडल की मांग की। इसके बाद स्वयंवर में शामिल होने गए। 

लेकिन वहां तिरस्कृत हो गए। तब कुएं में झांक कर देखा। वे अपनी शक्ल वानर जैसी देखकर कुपित हो गए। वहीं विश्वमोहिनी को लक्ष्मी व वर को विष्णु पाते ही आक्रोशित हो गए। उन्होंने भगवान विष्णु को शाप दिया कि त्रेता युग में पत्नी के वियोग में भटकने पर वानर ही आपकी सहायता करेंगे। देवताओं द्वारा सत्य से अवगत कराने पर उनका मोह भंग गया और वे शांत हो गए।



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