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गुरुवार, 24 नवंबर 2022

Safal jeevan सफल जीवन

 सफल जीवन


मनुष्य यही चाहता है कि वह अपने क्षेत्र में सफलता के सर्वोच्च सोपान तक पहुंचे। मनुष्य के अंतस से एक ही स्वर फूटता है-सफलता। उसके रोम-रोम में एक ही रागिनी बजती है सफलता । उसकी जीवन वीणा के तारों से एक ही गूंज सुनाई पड़ती है सफलता । सफलता की ऐसी आकांक्षा जितनी सहज है, उतना ही कठिन होता है उसे प्राप्त करना। असफलताओं की कई नदियों से गुजरने के बाद ही हम सफलता के सागर से एकाकार हो पाते हैं। स्वामी विवेकानंद ने यथार्थ ही कहा है, 'असफलताएं कभी-कभी सफलता का आधार होती हैं। यदि हम कई बार भी असफल हो जाएं तो कोई बात नहीं। प्रयत्न करके असफल हो जाने की अपेक्षा प्रयत्न न करना अधिक अपमानजनक है।'


असफलता, सफलता का सबसे निकटतम बिंदु होता है, किंतु अधिकांश लोग उसे यह कहकर ठुकरा देते हैं कि आप एक बार और गिर गए हैं। असफलता, सफलता की दिशा में उठाया गया पहला कदम है। यह सामान्य है कि असफल होने पर व्यक्ति निराश एवं हताश हो जाता है, लेकिन यह निराशा क्षणभंगुर होती है। यदि आप उस असफलता का कारण ढूंढ़ने की कोशिश करेंगे तो आप अपनी कमियों को पहचान पाएंगे, त्रुटियों को सुधार कर दोबारा प्रयास कर पाएंगे। इस संदर्भ में आचार्य विनोबा भावे ने कहा है, 'लगातार सफलता हमें संसार का पक्ष दिखाती है। विफलताएं उस चित्र का दूसरा पक्ष भी दर्शाती हैं। '


इसीलिए जब भी लक्ष्य तय करें, उसके लिए उत्साही होना होगा। असफलताओं के नकारात्मक प्रभाव से बचना होगा। लक्ष्य प्राप्ति में कितना समय लग रहा है, उससे विचलित नहीं होना है। हमे अपने जीवन में लक्ष्यों को ऐसे निर्धारित करना चाहिए कि एक लक्ष्य पूरा हो जाए तो फिर रुकना या थकना भी नहीं है। फिर अगले लक्ष्य की पूर्ति में जुट जाना है, क्योंकि सदैव आगे बढ़ते रहने में ही जीवन की सार्थकता निहित है।

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