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रविवार, 12 मार्च 2023

मित्रता की कसौटी

 मित्रता की कसौटी



मित्रता दो हृदयों को बांधने वाली प्रेम की डोर होती है। यह वह बंधन है जो दो समान विचारों वालों को परस्पर साथ लाकर एक-दूसरे के सुख-दुख का साथी बना देता है। भर्तृहरि ने कहा है, 'जो सुख तथा दुख में साथ दे तथा समान क्रियावाला हो, उसे मित्र कहते हैं।' जीवन के पथ पर एकाकी चलने में मनुष्य कठिनाई का अनुभव करता है, उसे वैसे व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जो उसके हर्ष और विषाद में साथ देने वाला हो, जिसके समक्ष वह मनप्राणों की कोई लिपि गुप्त न रहने दे, जिस पर वह अपने विश्वास की दीवार खड़ी कर सके।


मित्रता की तलाश मनुष्य की सहज वृत्ति है । सच्चे मित्र की प्राप्ति उसका सौभाग्य है। मित्रता मन की प्यास है, जिसके लिए मनुष्य तड़पता रहता है और वह बड़ा ही भाग्यवान है, जिसकी यह प्यास बुझ जाती है। यदि मित्रता असली हो तो वह स्वर्गिक प्रकाश है और नकली हो तो नारकीय अंधकार। सच्ची मित्रता अपनी ज्योति से मित्र के संकट के बादलों को दूर कर देती है। सच्चा मित्र सदैव अपने मित्र की भलाई चाहता है। वह उसके लिए किसी भी प्रकार के त्याग के लिए तत्पर रहता है। वह अपने मित्र को कुमार्ग पर जाने से रोककर सुमार्ग पर चलाने का प्रयास करता है। वहीं, किसी · कपटी मित्र की मित्रता केवल शब्दों तक ही सीमित होती है। ऐसे विश्वासघाती मित्रों के भावों में धोखा होता है, किंतु भाषा में सरलता - मधुरता रहती है।


व्यक्ति जब कभी विपदाओं के बाण से विद्ध हो जाता है और जीवन में घोर निराशा का अंधकार छा जाता है तब सच्चा मित्र ही अपने सहयोग और मूल्यवान परामर्श की ज्योत्स्ना से हमारे जीवन को प्रकाशित कर हमें संकट से मुक्ति दिलाता है। ऐसे में मित्रता को लेकर अरस्तू का यह कहना भी यथार्थ है कि, 'मित्रों के बिना कोई भी जीना पसंद नहीं करेगा, चाहे उसके पास बाकी सब अच्छी चीजें ही क्यों न हों।' हमारे लिए जीवन में मित्रता के मोल को समझना आवश्यक है।

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