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मंगलवार, 19 नवंबर 2019

सफलता की चाह

सफलता की चाह

आजकल हर कोई सफलता के पीछे भाग रहा है, लेकिन सफलता उससे भी तेज गति से पलायन कर रही है। कुछ लोग शीघ्र से शीघ्र सफलता अर्जित करने के लिए शॉर्टकट की राह भी चुनने में देर नहीं कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप उनके हाथों नाकामयाबी ही आ रही है, आखिर सफलता का रहस्य क्या है? इस प्रश्न का उत्तर जाने बिना और सफलता को भलीभांति समझे बिना उसे पाने की हर कोशिश व्यर्थ ही है। कुछ लोग सफलता का सही अर्थ समझे बिना ही व्यर्थ की होड़ में लगे रहते हैं। वे समझते हैं कि सफलता कोई पड़ाव है असल में सफलता कोई  पड़ाव ना होकर निरंतर चलने वाली एक प्रक्रिया है।
      सफलता को पाने के लिए अथक परिश्रम की आवश्यकता होती है। मेहनत और सफलता का रिश्ता चोली दामन का कहे तो भी अतिशयोक्ति नहीं होगी । सफलता का सुनहरा सपना देखने वालों को अपनी योग्यता पर भरोसा होना चाहिए । जब योग्यता आ जाती है तो सफलता की राह बेहद ही आसान हो जाती है सफलता जैसे शब्द के हर व्यक्ति की नजर में अलग-अलग मायने हो सकते हैं। एक छात्र के लिए नौकरी और अधिक धन की प्राप्ति सफलता का एक पहलू हो सकता है। भले ही मायने ढेरों हो पर सभी के लिए सफलता तक पहुंचने का एक ही विकल्प है - धैर्य और परिश्रम, लेकिन आज के युग में सबसे बड़ी कमी है तो धैर्य की। नाम की चाह में हम अक्सर बेकाबू होकर गलत राह की ओर अग्रसर हो कर सफलता के सन्निकट होने के बावजूद दूर हो जाते हैं। एक समय ऐसा भी आने लगता है जब हम किंकर्तव्यविमूढ़ की दशा में पहुंच जाते हैं। फिर जिंदगी तनाव में और आक्रोश का  आनायास ही प्रवेश होने लगता है।
      अतः कहा भी गया है कि भाग्य से ज्यादा और समय से पहले, ना किसी को मिला है और ना मिलेगा जीवन में कर्म ही व्यक्ति की समस्त इच्छाओं की पूर्ति का एकमेव माध्यम है हमें भी अपने लक्ष्य को निर्मित कर उसे पाने की दिशा में एकटक होकर रात दिन प्रयासरत रहना चाहिए। कुछेक असफलताओं की ठोकरों से भयभीत होकर अपनी राह बदल देना उचित नहीं है। असफलता के बाद भी कोशिश जारी रखना चाहिए, क्योंकि "लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती"


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