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बुधवार, 27 नवंबर 2019

जीवन आनंद

जीवन आनंद
 यदि आसपास के लोगों के व्यवहार और आचरण को गंभीरता से पढ़ने की
कोशिश करें तो यह समझने में देर नहीं लगती है कि  हममें से बहुतेरे लोग ऐसे हैं
जो अपना संपूर्ण जीवन बिल्कुल नहीं जीते हैं, बल्कि जीवन के जीने को स्थगित करते रहते हैं. ऐसे लोग प्राया यही सोचते रहते हैं कि अभी तो जीवन में काफी परेशानियां हैं, और जब इससे निजात पा लूंगा तो खूब खिलखिला कर हंस लूंगा, और सुकून से जीवन जी लूंगा. अधिकांश तो ऐसा भी सोचते हैं कि अभी तो अमुक कार्य काफी जरूरी है ,जब वह कार्य आने वाले कल में संपादित हो जाएगा ,तो फिर वह खूब मौज मस्ती करेंगे और जीवन जीने  को शिद्दत से आनंद लेंगे. आशय यह है कि ऐसे लोग वर्तमान में जीवन को उसके सच्चे स्वरूप में जीते ही नहीं, बल्कि जीवन जी ने को स्थगित करते रहते हैं. सच पूछिए तो जीवन जीने को स्थगित करने के बारे में मानव मन की यही घातक प्रवृत्ति उसके दुखों का सबब होती है. क्योंकि हकीकत तो यही है कि कल कभी नहीं आता है. हर आने वाला कल अगले दिन के लिए आज होता है. इस सत्य से इंकार करना कदाचित आसान नहीं होगा कि ,मानव जीवन क्षणभंगुर और अनिश्चित है. पल में प्रलय होता है और इंसान के सुनियोजित और खूबसूरत सपने पलक झपकते ही टूट कर बिखर जाते हैं. अमेरिकी कूटनीतिक  एलेनोर रुजवेल्ट ने कहा था ‘“भविष्य उसी व्यक्ति का साथ देता है जो अपने अपने सपनों की खूबसूरती में विश्वास रखता है’  सपने हैं तो जीवन है, जीवन की दिशाएं हैं, जीवन का उद्देश्य है,जीवन का साध्य है. सपनों से मरहूम जीवन की कोई सार्थकता नहीं होती है. वर्तमान में जीना एक सार्थक जीवन जीने की सबसे खूबसूरत कला है. हर सुबह यदि यह मानकर  जिए कि आज जीवन का आखरी दिन है, तो जीवन अपने सबसे सुंदर और सार्थक स्वरूप में ढलता  है .जीवन को मुकम्मल तौर पर जीने वाले उम्र दराज लोगों का भी यही मानना है, कि जीवन के सभी लम्हे बेशकीमती मोतियों सरीखे होते हैं ,जिन्हें या तो जीवन  जीकर कर हासिल करें, या फिर जीवन जीना स्थगित करके व्यर्थ कर दें. इसी निर्णय पर हमारा भविष्य और जीवन के वर्षों से संजोए सपनों का साकार होना निर्भर करता है.

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