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मंगलवार, 26 नवंबर 2019

समाधान

समाधान


प्रत्येक मनुष्य के जीवन में समस्याएं वैसे ही आती हैं जैसे दिन और रात का आना तय है। मगर जो मनुष्य समस्या या किसी उलझन के समय शांत तथा समभाव में रहकर समस्या को सुलझा लेता है, उसके लिए समस्या एक अनुभव मात्र होती है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि जीवन में समस्या होती ही नहीं, लेकिन कुछ मनुष्य मान रहे होते हैं कि उनके जीवन में समस्या है । ऐसे मनुष्य मानने भर से सोचते हैं कि वह समस्या में फंस गए हैं इसलिए सर्वप्रथम तथ्यों के आधार पर यह विचार करना चाहिए कि समस्या है भी या नहीं और यदि समस्या है तो उसका वास्तविक स्वरूप क्या है। ऐसा इसलिए आवश्यक है, क्योंकि समस्या को सुलझाने के लिए स्वरूप जानना जरूरी होता है। अक्सर देखने में आता है कि समस्या का उचित विश्लेषण ना करने के कारण समस्या से ग्रस्त मनुष्य मानसिक अवसाद का शिकार हो जाता है। समस्या को स्वयं सुलझाने के लिए मनुष्य का सबसे बड़ा सहायक उसका स्वयं का मन होता है। मन जितना शांत होगा, समस्या उतनी ही आसानी से सुलझाई भी जा सकती है। यह स्पष्ट है कि बेचैन तथा परेशान मन कुछ भी सार्थक सोच-समझ नहीं सकता। इस प्रकार का मन केवल पहेलियां बनाता है, उन्हें सुलझाता नहीं। अक्सर समाधान समस्या की तह में ही छुपा होता है, उसकी ऊपरी सतह पर नहीं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि मन को शांत अवस्था में कैसे लाया जाए। उसके लिए ध्यान एक रामबाण उपाय है। ध्यान के द्वारा मनुष्य का मन ध्यान की अवधि में भटकना बंद हो जाता है। इस कारण मस्तिष्क को भी मन के ठहराव के कारण विश्राम मिल जाता है और मस्तिष्क तरोताजा होकर समस्या के बारे में अच्छी प्रकार तथ्यों के आधार पर विचार करके उत्तर निकालता है। इसलिए जब समस्या आए, मनुष्य को ध्यान जरूर करना चाहिए। ध्यान के समय समस्या ईश्वर को सौंपकर शरीर में ईश्वरीय अंश यानी आत्मा से उसके उत्तर की प्रतीक्षा करनी चाहिए। यह अटल सत्य है कि आत्मा हर समस्या का उचित उत्तर जरूर देती है। समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए ध्यान को अपने दिनचर्या में शामिल करके समस्याओं का उचित समाधान करने में जुट जाएं।

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