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बुधवार, 13 नवंबर 2019

संगति

संगति


        सामाजिक प्राणी होने के नाते मनुष्य को किसी ना किसी के साथ की आवश्यकता
जरूर होती है और यही संगत उसके व्यक्तित्व निर्माण को प्रभावित करती है ।
संगति का प्रत्येक मनुष्य के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है । अच्छी संगति से जहां
व्यक्ति यश एवं कीर्ति कमाता है , वही बुरी संगति उसके पतन का कारण बनती है । किसी
व्यक्ति के व्यक्तित्व का पता उसकी संगति से ही चल जाता है । कहते भी हैं कि किसी
व्यक्ति का आचरण व्यवहार जानना हो तो उसके मित्रों का आचरण जान लो यानी
जिस व्यक्ति के मित्र अच्छे आचरण वाले होंगे , वह वैसे ही आचरण को आत्मसात करेगा ।
कोई भी इंसान अपनी संगति सही ही जाना-पहचाना जाता है। यदि हम समाज के
अच्छे लोगों के साथ उठेंगे-बैठेंगे तो हमारी तुलना उनके साथ ही की जाएगी यदि हम दुष्ट
प्रवृत्ति के लोगों का साथ लेंगे तो हम उनकी तरह बन जाएंगे । व्यक्ति पर संगति का असर
जाने-अनजाने में पड़ ही जाता है । कोई लाख कोशिश कर ले , वह इससे बच ही नहीं सकता।
काजल की कोठरी में जाने के बाद कालिख लग ही जाती है । ऐसे में ही प्रत्येक व्यक्ति को
विवेक प्राप्त करने के लिए अच्छी संगति को अपनाना चाहिए ।
असल में मूल रूप से मनुष्य के विचार और कर्म को उसके संस्कार एवं पर भी दिखा देते हैं
अच्छे संस्कार स्वच्छ परिवेश मिलते हैं तो वह कल्याण के मार्ग पर चलता है यदि देश में
रहता है तो उसके कार्य भी इससे प्रभावित हो जाते हैं ऐसे में सर्वप्रथम व्यक्ति को अपनी
कामना को नियंत्रण में रखने के लिए अपनी संगत सुधा नहीं चाहिए यदि मनुष्य अपनी
सुधार ले तो उसका पूरा जीवन सुधर जाएगा संगति को स्वाभिमानी और उसे कठिन
परिस्थितियों का सफलतापूर्वक सामना करने की शक्ति देती है।  संगति का असर होता है
कि सज्जनों की संगति से दूर जाता हैयानी व्यक्ति योगी के साथ ही और घी के साथ भागी
बन जाता है। विद्वानों के प्रभाव से आत्मा के मलिन भाव दूर हो जाते हैं तथा वह निर्मल
बन जाती है एक साधारण मनुष्य की महापुरुषों ज्ञानियों विचारों एवं महात्माओं की संगत
से बहुत ऊंचे स्तर को प्राप्त करता है।

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