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बुधवार, 2 फ़रवरी 2022

संघर्ष

जीवन में परिवर्तन का क्रम चलता रहता है। अगर एक जैसी विपरीत परिस्थितियां बार-बार आ रही हो तो कभी यह नहीं समझना चाहिए कि अब जीवन में सब कुछ खत्म हो गया है, मेरे लिए कुछ नहीं बचा है। संघर्षशील व्यक्ति को एक बार पुनः उसी उत्साह के साथ नए सिरे से प्रयत्न में जुट जाना चाहिए। प्रयत्नों में ही सफलता की कुंजी निहित होती हैं।

संघर्ष काल में यह बात हमेशा ध्यान में रहनी चाहिए कि व्यक्ति के स्वयं के हाथ में कुछ नहीं है। व्यक्ति पुरुषार्थ कर सकता है, मगर परमार्थ का फल समय से पूर्व प्राप्त नहीं कर सकता। कहते है-समय से पहले और भाग्य से अधिक न किसी को मिला है और न किसी को मिलेगा। उसके लिए प्रतीक्षा ही सबसे बड़ा सहयोग है। इस सोच से ही व्यक्ति प्रतिकूलताओं में भी अनुकूलता की सौरभ भर सकता है। अनिश्चितताएं हमारी शत्रु नहीं है। कुछ स्थायी नहीं होना बताता है कि मैं और आप कोई भी जीवन की असीमित संभावनाओं को जान नहीं सकते। जरूरत है तो बस विश्वास की कभी आप अनिश्चितताओं की तरफ बढ़ते हैं तो कभी वे आपको ढूंढ लेती हैं। यही जीवन है। सफलता और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं। कठिन रास्ते भी हमें ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। हर रात के बाद सबेरा आता ही है और यह भी सत्य है कि रात जितनी काली और भयावह होगी, सुबह उतनी ही प्रकाशमान तथा सुहानी होगी। गर्म हवाओं के चलने से ही जल वाष्प बनकर मेघ बनता है और फिर जीवनदायिनी वर्षा के रूप में बरसता है। जीवन में आए दुख, चिंता, तनाव तथा समस्या ही मनुष्य को निरंतर कर्मशील रखती हैं। अतः अपना दृष्टिकोण तथा चिंतन बदलकर समस्याओं को देखा जाए तो हर संकट सफलता की ओर ले जाने वाला रास्ता बन जाएगा। वस्तुतः विपत्ति एक कसौटी है, जिस पर कसकर मनुष्य का व्यक्तित्व और चरित्र जांचा-परखा जाता है। आपका हर दिन बीते दिन से अलग है। इसे स्वीकारना ही जीवन को गले लगाना है।

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