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सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

सकारात्मकता का प्रवाह


        जीवन में सकारात्मकता अद्भुत चमत्कार करती है। यह किसी औषधि की तरह होती है जो मन में उत्पन्न हुए विकारों को नष्ट कर देती है। इसका प्रभाव जीवन में उत्तम प्रवाह को गति देता है। यह हमारे व्यक्तित्व को प्रभावी बनाता है। जीवन की जटिलताओं को न्यून कर देता है। हमारे भीतर के भय को समाप्त कर देता है। इसके प्रभाव से मानस में नूतन युक्तियां उत्पन्न होने लगती हैं, जो हमें उन्नति की ओर ले चलती हैं। हमारे समक्ष आने वाली चुनौतियां, हमारे सकारात्मक दृष्टिकोण के कारण पराजित हो जाती हैं। सकारात्मक दृष्टिकोण हमें क्षमतावान बनाता है। क्षमतावान व्यक्ति सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जाता है। सकारात्मकता का भाव सूर्य के समान होता है। जो सदैव ओज से परिपूर्ण होता है। ऐसा ओज जो समस्त विश्व को आलोकित करता है, जिसके समक्ष नकारात्मकता का अंधकार नतमस्तक होता है। जो जीवन के प्रवाह को गतिमान बनाता है। जो रचयिता बनकर नवीनता प्रकट करता है। नव लय और गति का सृजन करता है। यह सब कुछ हमारे भीतर स्वतःस्फूर्त घटित होने लगता है।

        हमारे भीतर व्याधियां नहीं उत्पन्न होने देती। हमें मानसिक विकार नहीं घेरते। हम इसके सान्निध्य में प्रसन्नता का अनुभव करते हैं। हमारे दृष्टिकोण की सकारात्मकता हमें प्रभावी बनाती है। इससे हमारे कार्य सरल होने लगते हैं। जिस कारण हम जीवन में नए आयाम स्थापित करने में सक्षम हो पाते हैं। सकारात्मकता की मिठास हमें आनंदित कर देती है। यह आनंद ही हमें जीवन के वास्तविक अर्थ से परिचित कराता है, जिससे हम अपने अस्तित्व का कारण जान पाते हैं। उसका हेतु समझने लगते हैं। जब हम जीवन का हेतु समझ जाते हैं तो मोक्ष के मार्ग पर होते हैं। जीवन का हेतु सृष्टि के मंगल में निहित है। जब हमारे कार्य सृष्टि मंगल की ओर उन्मुख होते हैं तो हम जीवन के यथार्थ का अनुभव करने लगते हैं। सकारात्मकता के प्रवाह से ही लोकमंगल की सरिता बहती है

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