सरलता
जो व्यक्ति सरलता को अपने जीवन में लंबे समय तक कायम रखने में सफल हो जाता है, वह निश्चित ही जीवन का
वास्तविक आनंद उठाता रहता है. ऐसे लोगों के मस्तिष्क में शांति स्थापित रहने के कारण ,प्राकृतिक रूप से अधिक
मात्रा में आध्यात्मिक ऊर्जा का भंडार बना रहता है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी सरलता को बहुत ही जल्दी
खो देते हैं, और एक दम कठोर हो जाते हैं, जिसके कारण जीवन की गहराइयों के बारे में कुछ भी जानना और अनुभव
करना ऐसे लोगों के लिए अत्यंत कठिन हो जाता है। बचपन कितना अधिक आनंद पूर्ण था, यह अनुभव सभी ने किया होगा ,
लेकिन वैसा आनंद वर्तमान में नहीं रह गया, जबकि उम्र बढ़ने के साथ जो अनुभव और ज्ञान बढ़ता है उसके आधार पर
बचपन के सापेक्ष व्यक्ति को वर्तमान जीवन में अधिक आनंद अनुभव होना चाहिए, किंतु होता इसके एकदम विपरीत है।
अहंकार एक ऐसी छाया है,जो व्यक्ति को अपने घेरे में बहुत ही आसानी से ले लेती है। इसी से हृदय कठोर हो जाता है।
वास्तव में झूठ इसलिए पनपता है ,क्योंकि हम उसे अच्छी अच्छी बातों के अंदर छुपाते रहते हैं, किंतु यदि हम ऐसा
करना छोड़ दें, तो फिर झूठ का टिक पाना संभव नहीं है। इस प्रकार की सोच एक बार व्यक्ति के भीतर प्रवेश कर
जाती है, तो फिर बुराइयां ज्यादा दिन तक उसके साथ नहीं रह सकती हैं। इसी से जीवन में सरलता आने लगती है।
सरलता जीवन में जैसे-जैसे गहराई से प्रवेश करने लगती है वैसे-वैसे व्यक्ति ईश्वर के करीब होने लगता
है ,प्रकृति के करीब होने लगता है। हर व्यक्ति को जीवन के भीतर की सच्चाई को जानने की चेष्टा करते हुए,
इसे देखने का साहस जुटाना चाहिए। हम झूठी बात को जितना अधिक छिपाते जाएंगे ,वह उतनी ही अधिक
हमें पीड़ा महसूस कराती रहेगी। यदि हम इसी प्रकार की पीड़ा महसूस करते रहेंगे, तो फिर जीवन में परिवर्तन
ला पाना असंभव ही है।
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