राष्ट्रीय-गीत
वन्दे मातरम्, वन्दे मातरम्।
सुजलाम् सुफलाम् मलयज शीतलाम्।
शस्य श्यामलाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।।
शुभ्रज्योत्स्नाम् पुलकित यामिनीम्।
फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्॥
सुहासिनीम् सुमधुरभाषिणीम्।
सुखदाम् वरदाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।
हम अपनी मातृभूमि की वन्दना करते हैं, हे माँ तुम्हे नमस्कार, हे माँ तुम्हे नमस्कार। मेरी यह मातृभूमि शीतल जल और सुस्वादु फलों से युक्त है। मेरी मातृभूमि मलयागिरि के चन्दन के समान शीतलता प्रदान करने वाली है। मेरी मातृभूमि अपनी फसलों (खाद्यान्न) एवं वनस्पतियों से हरी-भरी है। मैं इस मातृभूमि को वन्दन करता हूँ। इस धरती माता की रात्रि स्वच्छ चाँदनी में विहँसती (खिलखिलाती) है तथा खिले हुए पुष्पों एवं लताओं से सुशोभित होकर प्रसन्न है।
ऐसा प्रतीत होता है कि इस धरती माँ की प्राकृतिक सम्पदा को पाकर मातृभूमि हम सभी से मधुर संभाषण (वार्तालाप) करने को उत्कंठित (आतुर) है।
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