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सोमवार, 8 अगस्त 2022

विनम्रता की शक्ति

 विनम्रता की शक्ति


मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी होती है उसका अहम् । अहंकार के वशीभूत हुआ व्यक्ति यह सोचता है कि यदि मैं झुक गया और सह लिया तो लोग मुझे छोटा एवं कमजोर समझकर मेरी उपेक्षा करेंगे, परंतु वास्तविकता ऐसी नहीं है। झुकने वाला व्यक्ति कभी छोटा या कमजोर नहीं होता, बल्कि वह बड़ा और मजबूत होता है। विनम्रता स्वयं में एक शक्ति है। फल से लदी हुई डाल झुकी हुई होती है साथ ही सहनशील भी। अहंकार और दंभ के कारण ही राजकुमार होते हुए भी दुर्योधन अपनी प्रभुता को स्थापित नहीं कर सका। पद के अनुरूप प्रतिष्ठा अर्जित करना तो दूर वह लोगों की नजर में भी गिर गया था। बड़ा तो वह है, जो दूसरे के अधिकार की रक्षा करता है। दूसरे को सम्मान प्रदान करके अपने सम्मान की अभिवृद्धि करता है। दूसरे को नीचा दिखाकर हम कभी बड़े नहीं बन सकते।

एक बार रामकृष्ण परमहंस के दो शिष्यों में विवाद हो गया कि हममें बड़ा कौन है? कोई निर्णय नहीं हो पाने पर दोनों शिष्य उनके पास पहुंचे और फैसला करने का निवेदन किया। परमहंस बोले- 'इस बात का निर्णय करना तो बहुत आसान है और वह यही है कि आपस में जो दूसरे को बड़ा समझता है, वास्तव में वही व्यक्ति बड़ा होता है।' हममें से कितने लोग ऐसे हैं, जो इस कटु सत्य को मन से स्वीकार करने लिए तत्पर होते हैं। वास्तव में नीचे रहकर ही किसी वस्तु को प्राप्त किया जा सकता है। सच है विनम्रता किसी भी महान व्यक्ति के चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता होती है।

अपने को बहुत विशिष्ट और असाधारण मानकर विनय नहीं आ सकता। अपने को बहुत साधारण और सामान्य मानकर ही संभव है कि हमारे भीतर विनय आ सके। वाणी का विनय है-मधुर विचार, मन का विनय है- श्रेष्ठ विचार, शरीर का विनय है-अच्छे कार्य। ये हमारे अंदर बढ़ते जाएं तो हम आसानी से मृदुता को, कोमलता को प्राप्त कर सकते हैं।


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