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शनिवार, 6 अगस्त 2022

सावन का अध्यात्म

                                                                                सावन का अध्यात्म


भगवान श्रीकृष्ण ने कदंब की डालों पर झूलों का आनंद राधा के साथ, गोपियों के साथ, ग्वाल बालों के साथ ब्रजभूमि में उठाया था। वह तो स्वयं आनंद स्वरूप परमानंद हैं, उनका सान्निध्य ही परम सुख कारक है, लेकिन सावन में झूले का महत्व श्रीकृष्ण से अधिक कोई नहीं जानता । यह गूढ़ आध्यात्मिक विषय है। सावन में समस्त देवलोक, भूलोक, नागलोक और पाताललोक आध्यात्ममय हो जाते हैं। अर्थात आत्मानुभूति से डूब जाते हैं। यह आत्मानुभूति का पवित्र माह भगवान शंकर और माता पार्वती को भी सबसे अधिक प्रिय है। देवगण इस माह में अत्यधिक प्रसन्न और आनंदित होते हैं। समस्त धरा पर प्रकृति अपनी नवीन छटा के साथ नृत्य करती है। यह कामना का माह है, वासना का नहीं। पवित्र कामना को धारण करता हुआ जो मानव इस लोक में सावन के अवसर पर प्रभु का सहज तथा सुलभ प्रसाद ग्रहण करता है, वह सदैव ऐश्वर्यवान और संपन्न होता है।

सावन सभी माहों में सबसे श्रेष्ठ, ऊर्जावान तथा सृजनात्मक काल है। यह हर प्राणी में नव उत्स एवं धारणा का संचार करता है। सबको इसका लाभ उठाना चाहिए। सावन में अनोखी प्रभुता है, अलौकिक क्षमता है। कोई ग्रहण करने वाला तो हो, जो सावन का वरदान आत्मवश कर सके। भगवान शंकर ने इस माह को जागृत किया। तभी से यह पृथ्वी को अपने सरस भावों से प्रवाहित करता आ रहा है। वर्ष भर कठिन प्रतीक्षा के पश्चात यह माह आता है। समस्त प्रकार के आध्यात्मिक संसाधनों का भंडार सावन माह सबको संतुष्ट करने वाला है। इसे भक्ति मार्ग की सर्वोत्तम अवधि कहा जा सकता है। प्रेम की अनुभूति का यह विशेष समय है। शुभ है, सुगम. है, कल्याणकारी है, हितबद्ध है और भावनाओं के अनुकूल है। यह सावन पृथ्वी पर नया संदेश लेकर आया है कि दुखों की तपिस अब नहीं सताएगी। अब तो सुखों की रिमझिम से यह संसार नहा उठेगा। प्रकृति के संतुलन को ही सावन कहा जाता है।


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