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गुरुवार, 30 जनवरी 2020

जीवन आनंद

यदि आस-पास के लोगों के व्यवहार और आचरण को गंभीरता से पढ़ने की कोशिश करें तो यह समझने में देर नहीं लगती है कि हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपना संपूर्ण जीवन बिल्कुल नहीं जीते हैं, बल्कि जीवन के जीने को स्थगित करते रहते हैं। ऐसे लोग प्रायः यह सोचते रहते हैं कि अभी तो जीवन में काफी परेशानियां हैं और जब इन से निजात पा लूंगा तो खूब खिलखिला कर हंस लूंगा और सुकून से जीवन जीऊंगा। अधिकांश तो ऐसा भी सोचते हैं कि अभी तो अमुक कार्य काफी जरूरी है, जब वह कार्य आने वाले कल में संपादित हो जाएगा तो फिर वह खूब मौज-मस्ती करेंगे और जीवन जीने का शिद्दत से आनंद लेंगे। आशय यह है कि ऐसे लोग वर्तमान में जीवन को उसके सच्चे स्वरूप में जीते ही नहीं, बल्कि जीवन जीने को स्थगित करते रहते हैं। 

सच पूछिए तो जीवन जीने को स्थगित करने के बारे में मानव मन की यही घातक प्रवृत्ति उसके दुखों का सबब होती है, क्योंकि हकीकत यही है कि कल कभी नहीं आता है। हर आने वाला कल उस अगले दिन के लिए आज होता है। इस सत्य से इंकार करना कदाचित आसान नहीं होगा कि मानव जीवन क्षणभंगुर और अनिश्चित है। पल में प्रलय होता है और इंसान के सुनियोजित और खूबसूरत सपने पलक झपकते ही टूट कर बिखर जाते हैं। प्रसिद्ध अमरीकी कूटनीतिज्ञ उज्जवल ने कहा था, 'भविष्य उसी व्यक्ति का साथ देता है जो अपने सपनों की खूबसूरती में विश्वास रखता है।' सपने हैं तो जीवन है, जीवन की दिशाएं है, जीवन का उद्देश्य है, जीवन का साध्य है। सपनों से महरूम जीवन की कोई सार्थकता नहीं होती है। वर्तमान में जीना सार्थक जीवन जीने की सबसे खूबसूरत कला है। 

हर सुबह यदि यह मानकर जिएं कि आज जीवन का आखिरी दिन है तो जीवन अपने सबसे सुंदर और सार्थक रूप में ढलता जाता है। जीवन को मुकम्मल तौर पर जीने वाले उम्रदराज लोगों का भी यही मानना है कि जीवन के सभी लम्हे बेशकीमती मोतियों सरीखे होते हैं। इन्हें या तो जीवन जीकर हासिल कर ले या फिर जीवन जीना स्थगित करके व्यर्थ कर दें। इसी निर्णय पर हमारा भविष्य और जीवन के वर्षों से संजोए सपनों का साकार होना निर्भर करता है।

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