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मंगलवार, 21 जनवरी 2020

दोषपूर्ण उपलब्धियां

दोषपूर्ण उपलब्धियां

जीवन में सफलता, उच्च स्तरीय रहन-सहन, प्रचुर धन-दौलत की इच्छा अधिकांश लोगों की होती है। ऐसे लोग चाहते हैं कि उनका समाज में खुब दबदबा रहे, उनकी जयजयकार होती रहे, उनके पास सर्वाधिक भौतिक संसाधन हो। इस तरह की इच्छा का होना कोई खराब तो नहीं, लेकिन इसके लिए कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। प्रायः देखने में आता है कि अधिकांश लोग इसी मामले में विफल हो जाते हैं। वे इस तरह की सारी उपलब्धियां रातों-रात प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसे लोग इस भाव के चलते परिश्रम, धैर्य की जगह उतावले होकर नकारात्मक रास्ता अपनाने लगते हैं और छल, धोखा, अनैतिक ढंग से कुछ हासिल कर तो लेते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उनमें एक अज्ञात भय भी समाने लगता है। वैसे भी कहा गया है कि किसी भी उपलब्धि के लिए ठोस आधार उसी प्रकार होना जरूरी है जिस प्रकार किसी भवन या महल के लिए मजबूत आधार की जरूरत होती है। जीवन में विभिन्न प्रकार की उपलब्धियों के लिए धर्म का रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए। दूसरों का हिस्सा हड़प कर प्राप्त उपलब्धि दोषपूर्ण है। इससे परिवार से लोग लेकर समाज तक में कटुता और वैमनस्य का वातावरण बनता है। कोई भी सांसारिक सुख प्राप्त करने के पहले खुद बात करनी चाहिए। जो ऐसा नहीं करता है, उसे दुख और कष्ट मिलता है। इसी के लिए क्या कहा गया है कि 'बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय'। स्थिति यह है कि हर कोई एक-दूसरे का विश्लेषण तो कर रहा है पर खुद आत्म- विश्लेषण पर उसका ध्यान नहीं जा रहा है। यदि कोई व्यक्ति है तो उस व्यक्ति का घर साफ हो जाएगा, अपने घर में गंदगी बनी रहेगी। जबकि हर व्यक्ति को अपना घर साफ करना चाहिए। यही बात आचरण के लिए भी जरूरी है। इस बात की चिंता छोड़कर ही कि कौन कैसा है, वह अपने आचरण को बनाए तो उसकी उत्तम होगी। एक ना एक दिन उसकी ख्याति अवश्य बढ़ेगी।

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